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जब अटल बिहारी वाजपेयी ने भरी संसद में कहा था, 'ऐसी सत्ता को चिमटे से भी नहीं छुऊंगा'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 27, 2022 02:52 PM2022-06-27T14:52:23+5:302022-06-27T14:54:11+5:30

क्या होगा उद्धव ठाकरे का, क्या होगा एकनाथ शिंदे का। क्या महाराष्ट्र में सत्ता की सियासत लिखेगा नया अध्याय या फिर बाला साहब ठाकरे के बेटे उनके रसूख, उनके हनक और उनकी ठसक को रखेंगे बरकरार। 

दरअसल हिंदुत्व के राह पर चलते हुए सत्ता पाने की जुगत में लगे ठाकरे और शिंदे कभी भाजपा के साथ मिलकर एक ही मजमे यानी शिवसेना के खिलाड़ी हुआ थे, उनके सामने बतौर विरोधी दल कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी खड़ी थी।

 

लेकिन 2014 में केंद्र की सत्ता नरेंद्र मोदी के हाथों में आयी और खेल वहीं से पलटना शुरू हो गया। दिवंगत बाल ठाकरे किसी जमाने में जिस भाजपा को कमला बाई कहा करते थे वो अटल और आडवाणी की छत्रछाया से निकल कर ऐसे हाथों में आ गई, जो अटल बिहारी बाजपेई के उस बयान से उलट थी, जिसे उन्होंने साल 1996 में उस वक्त संसद में दिया था, जब उनकी सरकार महज 13 दिनों में गिर गई थी। 

सदन में भाषण देते हुए वाजपेयी किस तरह से राम की मर्यादा और लोकतंत्र की सुचिता की बात की थी। ऐसे में मौजूदा दौर में एक बड़ा प्रश्न यह खड़ा हो रहा है कि क्या महाराष्ट्र में जो घट रहा है, क्या वो किसी भी तरह से लोकतांत्रिक दायरे में आता है या फिर अब यह तय हो चुका है कि लोकतंत्र का निजाम ऐसे ही चलेगा। 

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