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इरफान खान को कैसे याद करते हैं उनके गुरु

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 29, 2020 07:44 PM2020-04-29T19:44:16+5:302020-04-29T19:44:16+5:30

इरफान की अदायगी का कौन मुरीद नहीं. आज मोटी आखों वालों एक्टर सबकी आंखों में आंसू देकर चला गया है. इरफान को अधिकतर लोग उनकी अदायगी के जरिए ही जानते थे. इरफान का जाना कअपने बीच से किसी अपने का जाना लग रहा है. मन बहुत भारी बोझिल है. हम जिस इंसान की अदाकारी के कायल थे उनके सफर की शुरूआती दिनों के याद करते हुए उनके गुरू और थियेटर डायरेक्टर डा रवि चतुर्वेदी कहते हैं कि थियेटर चलता रहा है और चलता रहेगा लेकिन इरफान जैसा शानदार अभिनेता और लाजवाब इंसान कहां से लाएंगे? वह थियेटर के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे और उस सपने को अपने साथ ही लिए चले गए. 

जयपुर में इरफान खान के लिए किसी से भी बात कीजिए, उन्हें याद करते हुये हर कोई यह जरूर कहता है, 'शानदार अभिनेता! लाजवाब इंसान!' इरफान की जड़ें जयपुर में थीं और वह जयपुर में थियेटर के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे. थियेटर से लेकर सिनेमा तक में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले इरफान का बुधवार को मुम्बई के एक अस्पताल में निधन हो गया। इरफान का परिवार मूल रूप से राजस्थान के टोंक से है लेकिन इरफान का बचपन जयपुर के परकोटे वाले सुभाष चौक में बीता जहां उनके परिवार की टायरों की दुकान हुआ करती थी. इरफान का बाकी परिवार आज भी जयपुर में ही रहता है. इरफान के शुरुआती गुरु रहे डा. रवि चतुर्वेदी कहते हैं कि इरफान जो भी बने अपनी मेहनत से, अपनी लगन से बने. वो जमीन से जुड़े थे. संघर्ष शब्द आखिर तक इरफान से जुड़ा रहा. बचपन से लेकर आखिर तक. 
 

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