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''कपड़े उतारे बिना लड़की को छूना यौन शोषण नहीं''

By गुणातीत ओझा | Published: January 28, 2021 01:26 AM2021-01-28T01:26:10+5:302021-01-28T01:27:09+5:30

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि केवल छूना यौन शोषण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि घटना के समय व्यक्ति ने पीड़िता के साथ गलत इरादे से स्किन-टू-स्किन कांटेक्ट किया है, तभी यौन उत्पीड़न माना जाएगा।

बॉम्बे हाईकोर्ट (bombay high court) की नागपुर पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि केवल छूना यौन शोषण (sexual assault) नहीं है। कोर्ट ने कहा कि घटना के समय व्यक्ति ने पीड़िता के साथ गलत इरादे से स्किन-टू-स्किन कांटेक्ट (skin to skin contact) किया है, तभी यौन उत्पीड़न माना जाएगा। यदि ऐसा नहीं हुआ है तो इस आरोप को गलत माना जाएगा। आउटलुक के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि 12 साल की बच्ची के सीने को दबाना यौन शोषण नहीं माना जाएगा, जब तक कि यह प्रमाणित न हो जाए कि शख्स ने बच्ची के टॉप को उतारा या फिर गलत इरादे से उसके कपड़े के अंदर हाथ डाला। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा होता है तो इसे लड़की या महिला के सील भंग करने का इरादा माना जा सकता है। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि 'मात्र छेड़खानी' यौन हमले के अंतर्गत नहीं आता है। बॉम्बे हाईकोर्ट एक ऐसे आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसे नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए जेल की सजा निचली अदालत में सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला की एकल न्यायाधीश पीठ ने फैसला सुनाते हुए निचली अदालत से व्यक्ति को सुनाई गई सजा को संशोधित किया है। न्यायाधीश ने कहा कि शख्स ने कपड़े उतारकर बच्चे के शरीर के किसी हिस्से को छूआ नहीं है और न ही दबाया है, ऐसे में हम इसे यौन उत्पीड़न का आरोप नहीं मान सकते हैं। 

कोर्ट ने कहा कि यह आरोप निश्चित रूप से आईपीसी की धारा 354 की एक परिभाषा में आता है, जो एक महिला की विनम्रता को अपमानित करने के लिए दंडित करता है। ऐसे में इस मामले में कार्रवाई यौन उत्पीड़न के मामले में न कर आईपीसी की धारा 354 के तहत की जा सकती है। कोर्ट ने आरोपी की सजा को कम कर दिया। इस मामले का आरोपी बहला फुसला कर अपने घर ले गया था। जब लड़की की मां मौके पर पहुंची, तो उसने अपनी बेटी को रोते हुए देखा। मां ने पूछा तो बेटी ने उसे पूरी घटना सुनाई। इसके बाद महिला ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले पर लोगों ने सवाल उठाए हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu), शिबानी दांडेकर, रितेश देशमुख(Riteish Deshmukh) समेत कई बॉलीवुड सेलेब्रिटीज ने इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। तापसी पन्नू ने कहा, मैंने बहुत देर कोशिश की लेकिन अभी भी मेरे पास ये समझाने के लिए शब्द नहीं है कि मैं इस वक्त कैसा महसूस कर रही हूं। उन्होंने एक और ट्वीट में इस फैसले पर तंज कसा है, तापसी ने लिखा- अब समझ आया, हैप्पी नेशनल गर्ल चाइल्ड डे। इसके अलावा ऐक्टर रितेश देशमुख ने भी इस खबर पर रिएक्शन दिया है। उन्होंने कहा, प्लीज कह दो कि ये फेक न्यूज है।

इसके अलावा शिबानी दांडेकर ने इंस्ट्राग्राम पर स्टोरी शेयर करते हुए इस फैसले को एक महिला जज द्वारा सुनाए जाने पर निराशा व्यक्त की है। वहीं एक्टर रघु राम ने लिखा कि, इस दिन को हर साल 'ईव-टीज़र दिवस' के रूप में मनाया जाना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले पर लगातार लोगों की ओर से नाराजगी भरे रिएक्शन आ रहे हैं।

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