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1 march को पहली बार America ने किया था Hydrogen Bomb का परीक्षण, मानव इतिहास का सबसे बड़ा Blast

By गुणातीत ओझा | Updated: March 3, 2021 00:14 IST

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हाइड्रोजन बम की हकीकत हिला देगी आपकोइतिहास के पन्नों में साल के हर दिन किसी अच्छी या बुरी घटना की याद दिलाते हैं। एक मार्च का दिन कई चीजों की याद दिलाता है लेकिन जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता, वो यादें भी आज के दिन ही इतिहास में दर्ज हुई थी। एक मार्च दुनिया में पहले हाइड्रोजन बम के परीक्षण के दिन के तौर पर इतिहास में दर्ज है। एक मार्च 1954 को अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया था। इस परीक्षण ने पूरे विश्व को चौंका दिया था.. इस विस्फोट को मानव इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा विस्फोट बताया जाता है। यह हिरोशिमा को नष्ट करने वाले परमाणु बम से हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली था। प्रशांत क्षेत्र में स्थित मार्शल द्वीपों के बिकिनी द्वीपसमूह में किए गए इस विस्फोट की तीव्रता को जांचने के लिए तैयार किए गए यंत्र भी इसकी सही ताकत नहीं आंक सके थे। इसे ऐसे कहा जा सकता है कि यह बम वैज्ञानिकों के आकलन से भी कई गुना ज्यादा शक्तिशाली था।अमेरिका ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण को माइक शॉट का निकनेम दिया था। इस बम को तैयार करने के पीछे दुनिया को अपनी ताकत से रूबरू कराना भी था। 1952 में अमेरिका ने ये परीक्षण प्रशांत क्षेत्र में स्थित मार्शल द्वीपों के बिकिनी द्वीपसमूह पर किया था। इस परीक्षण की वजह से यहां पर जीवन पूरी तरह से खत्म हो गया था। आज तक इस बम का कहीं इस्‍तेमाल नहीं किया गया है और मानवता को बचाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी भी है।हाइड्रोजन बम  की तुलना एटम बम से की जाए तो 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए हमले का जिक्र करना जरूरी हो जाता है। हिरोशिमा और नागासाकी में ऐटम बम के विस्फोट से निकली तेज चमक और फिर तेजी से बढ़े वहां के तापमान में इंसानों की हड्डियां भी भाप बनकर उड़ गई थीं। हाइड्रोजन बम का प्रभाव इसकी तुलना में कई गुना ज्यादा है। इस तरह के बम को वैज्ञानिक अपनी भाषा में थर्मोन्यूक्लियर बम या एच-बम भी कहते हैं।इन देशों के पास है हाइड्रोजन बमदुनिया के कुछ ही देशों के पास इस तरह का बम है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, भारत, पाकिस्तान और इजराइल शामिल हैं।एनरिको फर्मी ने तैयार किया इस बम कोएनरिको फर्मी को हाइड्रोजन बम बनाने का श्रेय दिया जाता है। इस तरह के बम बनाने में ट्रिटियम और ड्यूटिरियम का इस्‍तेमाल किया जाता है। ये बम आइसोटोप्स के आपस में जुड़ने के सिद्धांत पर काम करता है। इस सिद्धांत पर सूर्य अपनी ताकत को बनाए रखता है। इस हाइड्रोजन बम के तीन प्रमुख चरण होते हैं। इसके धमाके से होने वाली ऊर्जा सूरज से उत्‍पन्‍न होने वाली ऊर्जा के ही बराबर होती है। इसको देखने भर से ही कोई इंसान अंधा हो सकता है। इसके धमाके से पैदा होने वाली शॉकवेव्‍स किसी भी चीज को नष्‍ट कर सकती हैं और सैकड़ों मीटर दूर तक फेंक सकती हैं। ये कितना भयानक हो सकता है इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
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