सचिन पायलट राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री हैं। सचिन दिवंगत कांग्रेस नेता राजेश पायलट के बेटे हैं। सचिन पायलट 2004 में अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र दौसा से 26 साल की उम्र में सांसद चुने गए थे और इसके साथ ही वे सबसे युवा सांसद सदस्य भी बने। बहरहाल, राजस्थान में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस की जीत के सूत्रधार रहे हालांकि, इसके बावजूद अशोक गहलोत के राज्य के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी कांग्रेस से नाराजगी सामने आती रही है। Read More
राजस्थान कांग्रेस में प्रत्यक्ष तौर पर तो सभी एक हैं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यहां दो खेमे बने हुए है, जिनमें एक का नेतृत्व गहलोत करते हैं तो दूसरे का पायलट। ...
कांग्रेस के पिछले शासनकाल में विवादों में छाये रहे पार्टी के विधायक और मंत्रियों को जहां इस बार टिकट दिए जाने पर पार्टी के दिग्गज नेताओं को गंभीर मंथन करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर विवादित चेहरों पर दांव खेल किसी भी प्रकार की रिस्क लेना भी पार्टी नह ...
राजस्थान विधान सभा चुनाव: कांग्रेस नेता ने कहा कि राजस्थान में लोगों ने भाजपा का बोरिया बिस्तर बांध देने का मन बना बना लिया है। कांग्रेस की सरकार आम लोगों,गरीब, किसान, युवाओं की सरकार होगी। ...
Rajasthan Assembly Election 2018: राजेश पायलेट के बेटे सचिन पायलट की सियासी पारी 26 साल की उम्र में शुरू हुई, जब वे राजस्थान में राजेश पायलट की परंपरागत- दौसा सीट से 14 वीं लोकसभा के लिए सांसद चुने गए. ...
राजेश पायलट तो पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह के खिलाफ बागपत से चुनाव लड़ना चाहते थे, परन्तु उनकी राजनीतिक पारी राजस्थान के भरतपुर से शुरू हुई जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर संजय गांधी ने उन्हें भरतपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा। ...
भाजपा की राजस्थान सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बने हैं प्रमुख ब्राह्मण नेता- घनश्याम तिवाड़ी, जो सीएम वसुंधरा राजे का शुरू से ही खुला विरोध करते रहे हैं। ...
इसी साल 'भारत वाहिनी पार्टी' के ऐलान के समय घनश्याम तिवाड़ी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी के आने से गरीब व किसान का राज कायम होगा। काला कानून, किसानों की कर्ज माफी, बेरोजगारी, वंचितों को आरक्षण आदि प्रमुख मुद्दे होंगे। ...
पायलट ने कहा कि सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में आज देशभर में इस तरह की रैलियां आयोजित की जा रही हैं। भाजपा सरकार निरंतर संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्त कार्यप्रणाली में दखल देकर इन संस्थाओं को कमजोर बना रही हैं। ...