राजस्थान चुनावः उत्तर-पूर्वी राजस्थान जीते तो पायलट और दक्षिण-पश्चिमी जीते तो गहलोत होंगे सीएम?
By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 7, 2018 08:13 AM2018-11-07T08:13:02+5:302018-11-07T08:13:02+5:30
राजस्थान कांग्रेस में प्रत्यक्ष तौर पर तो सभी एक हैं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यहां दो खेमे बने हुए है, जिनमें एक का नेतृत्व गहलोत करते हैं तो दूसरे का पायलट।
राजस्थान में यदि कांग्रेस जीती तो मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल सियासी कारणों से भाजपा जरूर उछाल रही है, लेकिन यही प्रश्न कांग्रेसी दिग्गजों के लिए भी उलझन बना हुआ है। वैसे तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने की हालत में मुख्यमंत्री के पद के लिए आधा दर्जन नेताओं के नाम चर्चा में हैं, परंतु वास्तव में दो ही नेताओं के नाम वजनदार हैं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट।
जहां गहलोत राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाने के कारण कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीब हैं, वहीं युवा पायलट की दोस्ती और सक्रियता राहुल गांधी को पसंद है। इसीलिए माना जा रहा है कि उत्तर-पूर्वी राजस्थान जीते तो पायलट और दक्षिण-पश्चिमी जीते तो गहलोत मुख्यमंत्री होंगे।
राजस्थान में कांग्रेस के दो खेमे बंटे हैं
राजस्थान कांग्रेस में प्रत्यक्ष तौर पर तो सभी एक हैं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यहां दो खेमे बने हुए है, जिनमें एक का नेतृत्व गहलोत करते हैं तो दूसरे का पायलट। इन हालातों को देखते हुए ही जयपुर में कांग्रेस की सभा के दौरान राहुल गांधी ने दोनों नेताओं की मंच पर ही मुलाकात करवाई थी। यही नहीं, पायलट और गहलोत ने एक ही मोटर साइकिल पर सवार होकर यह संदेश देने की भी कोशिश की कि ऐसा कुछ नहीं है, जैसी चर्चाएं हैं।
केंद्रीय कांग्रेस को चाहिए दोनों नेताओं का साथ
केंद्रीय कांग्रेस की परेशानी यह है कि उसे दोनों का साथ चाहिए, जहां पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत का अनुभव और राजस्थान में उनकी राजनीतिक पकड़ जीत के लिए जरूरी है, वहीं पायलट की सक्रि यता एवं युवाओं में उनकी लोकप्रियता भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए आवश्यक है। इसीलिए गहलोत को कांग्रेस का वर्तमान तो पायलट को भविष्य माना जा रहा है। वैसे तो यदि केंद्र में कांग्रेस सरकार आती है तो गहलोत वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री होंगे, किंतु राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से लेकर अशोक गहलोत तक, ज्यादातर बड़े नेताओं की दिलचस्पी केंद्रीय मंत्री के बजाय राजस्थान के मुख्यमंत्री पद में ही रही है।
सर्वे भी दोनों के पक्ष में
पायलट और गहलोत में से मुख्यमंत्री कौन? इसको लेकर कई सर्वे भी आ चुके हैं जिनमें से किसी में पायलट आगे रहे हैं तो किसी में गहलोत, अर्थात।। कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं, इसलिए सवाल अपनी जगह कायम है! राजस्थान में क्षेत्रीय दलों, खासकर बसपा से सीटों पर समझौता नहीं होने का कारण भी यही है कि जहां बसपा का असर है, उसी क्षेत्र में पायलट के भी समर्थक प्रभावी हैं, यदि बसपा को सीटें दे दी जाती तो विधानसभा में पायलट समर्थक विधायकों की संख्या कम होने की संभावना थी। दोनों नेताओं की सक्रि यता को देखें तो उत्तर-पूर्वी राजस्थान में जहां पायलट की अच्छी पकड़ है,वहीं दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान गहलोत का गढ़ है।