राजस्थान चुनाव: तो क्या सचमुच ब्राह्मण बीजेपी से हैं नाखुश, वसुंधरा राजे को भारी पड़ेगी एक विप्र की नाराजगी?

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 29, 2018 08:13 AM2018-10-29T08:13:29+5:302018-10-29T08:13:29+5:30

भाजपा की राजस्थान सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बने हैं प्रमुख ब्राह्मण नेता- घनश्याम तिवाड़ी, जो सीएम वसुंधरा राजे का शुरू से ही खुला विरोध करते रहे हैं।

rajasthan assembly election brahmin vote factor in assembly election 2018 | राजस्थान चुनाव: तो क्या सचमुच ब्राह्मण बीजेपी से हैं नाखुश, वसुंधरा राजे को भारी पड़ेगी एक विप्र की नाराजगी?

बीजेपी ने वसुंधरा राजे को सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश किया है। वहीं सचिन पायलट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पसंद बताए जा रहे हैं।

प्रदीप द्विवेदी

राजस्थान में करीब पंद्रह प्रतिशत ब्राह्मण हैं, लेकिन ये मतदाता होने के साथ-साथ राजनीति में प्रेरक की विशेष भूमिका भी निभाते रहे हैं और इसीलिए सभी राजनीतिक दलों के लिए ब्राह्मण खास हैं। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों के भाजपा की ओर झुकाव के चलते ही भाजपा प्रादेशिक चुनाव में शानदार जीत दर्ज कराने में सफल रही थी, जबकि इससे पहले ब्राह्मण कांग्रेस के साथ थे।

कांग्रेस से जुड़े रहे ब्राह्मण

आजादी के पहले से ही ब्राह्मण कांग्रेस से जुड़े थे और इसीलिए पहली विधानसभा में तकरीबन एक तिहाई ब्राह्मण विधायक थे। ब्राह्मण राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार से कुछ खास खुश नहीं थे, लेकिन एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद तो भाजपा से नाराजगी और भी बढ़ गई, कितनी? यह राजस्थान के विस चुनाव के नतीजों में साफ होगा। 

तिवाड़ी बने बीजेपी के लिए परेशानी का सबब

भाजपा की राजस्थान सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी बने हैं प्रमुख ब्राह्मण नेता- घनश्याम तिवाड़ी, जो सीएम वसुंधरा राजे का शुरू से ही खुला विरोध करते रहे हैं और जब उनके विरोध पर केंद्रीय भाजपा ने विशेष ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने भाजपा छोड़ दी और अपनी नई सियासी पार्टी-भारत वाहिनी पार्टी का गठन किया। अब तिवाड़ी ने भाजपा और कांग्रेस, दोनों के खिलाफ मोर्चा खोला है तथा तीसरे मोर्चे के लिए प्रयासरत हैं, सफलता भविष्य के गर्भ में है, किंतु चुनाव में उनकी मौजूदगी से भाजपा को नुकसान होगा।

इनकी पकड़ ब्राह्मण समाज पर

राजस्थान के ब्राह्मण शुरू से ही कांग्रेस के साथ रहे हैं और राजस्थान की सत्ता पर ब्राह्मण नेताओं का विशेष प्रभाव रहा है। इस वक्त कांग्रेस के पास राजस्थान ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री भंवरलाल शर्मा बड़े ब्राह्मण नेता हैं, जिनकी पकड़ ब्राह्मण समाज पर है।

देवी त्रिपुरा की भक्त हैं वसुंधरा राजे

घनश्याम तिवाड़ी के जाने के बाद भाजपा में बतौर ब्राह्मण चेहरा देवस्थान प्रन्यास बोर्ड के चेयरमैन एसडी शर्मा हैं, जो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विश्वसनीय माने जाते हैं। कुछ समय पहले वे बतौर सीएम प्रतिनिधि भाजपा सरकार की जीत की कामना लेकर देवी त्रिपुरा सुंदरी के दरबार में गए थे। सीएम वसुंधरा राजे देवी त्रिपुरा की भक्त हैं तथा अपना हर महत्वपूर्ण कार्य वे देवी की पूजा-अर्चना के बाद ही प्रारंभ करती हैं।
 
विप्र फाउंडेशन ने सभी दलों को मांगपत्र भेजा

विप्र फाउंडेशन की एक बैठक के बाद सभी राजनीतिक दलों को एक 14 सूत्री मांगपत्र भेजा गया है, जिसमें ब्राह्मणों के लिए हर दल में चालीस-चालीस सीटों की मांग की गई है। यही नहीं, इसमें आर्थिक आधार पर चौदह प्रतिशत आरक्षण, प्रोन्नति से आरक्षण हटाना आदि मांगे भी की गई हैं।
(प्रदीप द्विवेदी लोकमत समाचार के संवाददाता हैं।)

Web Title: rajasthan assembly election brahmin vote factor in assembly election 2018

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