भारत और पाकिस्तान दक्षिण एशिया के दो महत्वपूर्ण और एक-दूसरे के पड़ोसी मुल्क हैं। 1947 से पहले ब्रिटिश शासन में ये अविभाजित हिंदुस्तान थे। लेकिन ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद दो अलग-अलग राष्ट्र बन गए। उसी समय से ऐतिहासिक और राजनीतिक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच तनाव रहा है। कई राजनेताओं की कोशिशों के बाद दोनों देशों के बीच कश्मीर समस्या तस की तस बनी हुई है। दोनों देशों के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं और तीनों बार पाकिस्तान को हार का मुंह देखना पड़ा है। लेकिन तमाम विरोधाभाषों के बावजूद दोनों देश इतिहास, सभ्यता, भूगोल, भाषा और अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं।भारत और पाकिस्तान के बीच इस वक्त भी तनाव की स्थिति है। 2014 में बीजेपी की अगुवाई में सरकार बनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नियुक्त किए गए। उन्होंने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को निमंत्रण भेजा। इसके बावजूद 18 सितम्बर 2016 को जम्मू और कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें भारत के 18 जवान शहीद हो गए। यह भारतीय सेना पर किया गया, लगभग 20 सालों में सबसे बड़ा हमला था। भारत सरकार ने इस आतंकी हमले को बहुत गंभीरता से लिया। पहले हुए कई हमलों (पठानकोट आदि) की तरह इस हमले में भी आतंकवादियों के पाकिस्तान से संबंध होने के प्रमाण मिले, जिसके कारण भारतभर में पाकिस्तान के प्रति रोष प्रकट हुआ और भारत सरकार ने कई अप्रत्याशित कदम उठाए जिनसे भारत-पाकिस्तान संबंध प्रभावित हुए। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।इस बीच पाकिस्तान में भी निजाम बदल चुका है। वहां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) मुखिया इमरान खान नए प्रधानमंत्री बने हैं। फिलहाला दोनों देशों के बीच वार्ता बंद है। Read More
PCB on India vs Pakistan matches: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के नवनियुक्त चेयरमैन एहसान मनी ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते को कैसे सुधारा जा सकता हैं। ...
भारत-पाक संबंध सुधरेंगे कैसे? बातचीत और भेंट तो भंग हो गई और अब दौर चला है, तू-तू-मैं-मैं का। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को मैं जानता हूं। ...
भारत ने अफगानिस्तान में अस्पताल, स्कूल, बिजोलीघर, नहर, संसद भवन आदि इतने निर्माण कार्य किए हैं कि भारत प्रत्येक अफगान की आंख का तारा बना हुआ है। भारत के सैकड़ों डॉक्टरों, इंजीनियरों, अध्यापकों, कूटनीतिज्ञों आदि ने अपनी जान खतरे में डालकर अफगानों की स ...
भारत की तरफ से उम्मीदों की निरंतरता और पाकिस्तान की तरफ से धोखा, जबकि दूसरी है- पाकिस्तान की तरफ से अग्रिम कार्रवाई तथा भारत की तरफ से पोस्ट रिएक्शन। ...
बंटवारे के उस दुखद इतिहास में 15 जून का दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कांग्रेस ने 1947 में 14-15 जून को नई दिल्ली में हुए अपने अधिवेशन में बंटवारे के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। ...