नासा के LROC ऑर्बिटर ने 17 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान वहां की कई तस्वीरें ली, जहां चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर ने उतरने का प्रयास किया था। नासा का ऑर्बिटर एक बार फिर अक्टूबर में यहां की तस्वीरें लेने की कोशिश करेगा। ...
नासा की जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल) में कार्यरत एनी डेवरॉक्स अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मंगल मिशन 2020 से जुड़ी अग्रणी उड़ान प्रणाली इंजीनियर हैं। डेवरॉक्स ने बुधवार को यहां अमेरिकन सेंटर में कहा, ‘‘भारतीय वैज्ञानिकों ने बहुत अच्छा काम किया। काफी ...
चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट की लागत कुल 978 करोड रुपए जिसमें उपग्रह की लागत 603 करोड़ और प्रक्षेपण यान की लागत 375 करोड रुपए थी. 3877 किलोग्राम वजने के चंद्रयान 2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी मार्क 3 एम 1 के जरिए चांद पर भेजा गया था. ...
इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘दिसम्बर 2021 तक पहला भारतीय हमारे अपने रॉकेट द्वारा ले जाया जाएगा...यह हमारा लक्ष्य है जिस पर इसरो काम कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए गगनयान मिशन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षमता को ब ...
ऑर्बिटर में 8 इंस्ट्रूमेंट्स हैं और प्रत्येक इंस्ट्रूमेंट अपना काम अच्छे से कर रहे हैं। भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए सिवन ने कहा कि हमारी अगली प्राथमिकता गगनयान मिशन है। ...
कुल 978 करोड़ रुपये की लागत वाला 3,840 किलोग्राम वजनी ‘चंद्रयान-2’ गत 22 जुलाई को भारत के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क ।।।-एम 1 के जरिए धरती से चांद के लिए रवाना हुआ था। इसमें उपग्रह की लागत 603 करोड़ रुपये और प्रक्षेपण यान की लागत 375 ...
रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा इन छवियों का विश्लेषण, प्रमाणीकरण और समीक्षा कर रहा है। उस वक्त चंद्रमा पर शाम का समय था जब ऑर्बिटर वहां से गुजरा था जिसका मतलब है कि इलाके का ज्यादातर हिस्सा बिंब में कैद हुआ होगा। ...