Chandrayaan-2: लैंडर विक्रम का 'काम' खत्म, चंद्रयान-2 के बाद ये है ISRO का अगला मिशन!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 21, 2019 07:49 PM2019-09-21T19:49:33+5:302019-09-21T20:01:57+5:30

चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट की लागत कुल 978 करोड रुपए जिसमें उपग्रह की लागत 603 करोड़ और प्रक्षेपण यान की लागत 375 करोड रुपए थी. 3877 किलोग्राम वजने के चंद्रयान 2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी मार्क 3 एम 1 के जरिए चांद पर भेजा गया था.

ISRO’s next highest priority is ‘Gaganyaan mission’: K Sivan | Chandrayaan-2: लैंडर विक्रम का 'काम' खत्म, चंद्रयान-2 के बाद ये है ISRO का अगला मिशन!

इसरो ने चंद्रयान 2 के बारे में आखिरी अपडेट दिया कि उसके ऑर्बिटर के सभी पेलोड अभी भी संचालित हैं.

Highlightsलैंडर विक्रम का जीवन काल एक चंद्र दिन ही था.लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की उम्मीदें अब बेहद कम बची है.

लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की उम्मीदें अब बेहद कम बची है. शनिवार (21 सिंतबर) को से चांद पर अंधेरा छाने लगा है. ऐसे में लैंडर विक्रम को खोजने की उम्मीदें भी धुंधली पड़ती जा रही हैं. लैंडर विक्रम का जीवन काल एक चंद्र दिन ही था.एक चंद्रमा दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. 

इसरो ने चंद्रयान 2 के बारे में आखिरी अपडेट दिया कि उसके ऑर्बिटर के सभी पेलोड अभी भी संचालित हैं. चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर पेलोड के लिए शुरुआती परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो गए हैं. इसरो के सभी ऑर्बिटर पेलोड का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है. शिक्षाविदों और इसरो विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय स्तर की समिति लैंडर के साथ संचार टूटने के कारण का विश्लेषण कर रही है.

चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम ने 7 सिंतबर को चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की असफल कोशिश की थी. विक्रम का जीवन काल 21 सितंबर को चांद का एक दिन पूरा होने और अंधेरा छाने के साथ ही खत्म हो जाएगा. चांद की सतह पर लैंड करने से कुछ दूर पहले ही इसरो से उसका संपर्क टूट गया था. लैंडर विक्रम को खोजने के  लिए इसरो नासा के साथ मिलकर उससे संपर्क करने की लगातार कोशिश कर रहा था. इसरो के ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज भी ली थी जिसमें चांद की हार्ड लैंडिग करने के बाद वो चांद की सतह पर टेढ़ा पड़ा हुआ था. चांद की सतह पर हार्ड लैंडिग की वजह से उसका एंटिना सही तरीके से काम नहीं कर रहा था.

लैंडर विक्रम में सोलर पैनल तो लगे हैं लेकिन चांद पर रात होने की वजह से वो अपनी बैट्ररी चार्ज नहीं कर पाएगा. बिना चार्जिंग और रात में  चांद के बेहद कम तापमान में लैंडर विक्रम काम नहीं कर पाएगा. लैंडर विक्रम से भले संपर्क ना हो पाया हो लेकिन इसरो का कहना है कि उसका ऑर्बिटर सही ढंग से अपना काम कर रहा है. इसरो का दावा कि पहले इसकी लाइफ एक साल थी लेकिन सही मैनेजमेंट की वजह से इसकी अवधि बढ़कर साल साल हो गई है.

चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट की लागत कुल 978 करोड रुपए जिसमें उपग्रह की लागत 603 करोड़ और प्रक्षेपण यान की लागत 375 करोड रुपए थी. 3877 किलोग्राम वजने के चंद्रयान 2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी मार्क 3 एम 1 के जरिए चांद पर भेजा गया था. लैंडर विक्रम 2 सितंबर को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से अलग हुआ था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने शनिवार को कहा कि देश दिसंबर 2021 तक मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि चन्द्रयान-2 के ‘लैंडर’ विक्रम को चंद्रमा की सतह पर ‘‘सॉफ्ट लैंडिंग’’ कराने की इसरो की योजना बेशक पूरी नहीं हो सकी हो लेकिन इसका ‘गगनयान’ मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि चन्द्रयान-2 का ऑर्बिटर साढ़े सात वर्षों तक डेटा देगा. उन्होंने कहा, ‘‘ चंद्रमा मिशन की सभी प्रौद्योगिकियां सॉफ्ट लैंडिंग को छोड़कर सटीक साबित हुई हैं. “क्या यह सफल नहीं है.’’ सिवन ने आईआईटी, भुवनेश्वर के आंठवे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘दिसम्बर 2020 तक हमारे पास मानव अंतरिक्ष विमान का पहला मानव रहित मिशन होगा. हमने दूसरे मानव रहित मानव अंतरिक्ष विमान का लक्ष्य जुलाई 2021 तक रखा है. ’’ इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘दिसम्बर 2021 तक पहला भारतीय हमारे अपने रॉकेट द्वारा ले जाया जाएगा...यह हमारा लक्ष्य है जिस पर इसरो काम कर रहा है.'

Web Title: ISRO’s next highest priority is ‘Gaganyaan mission’: K Sivan

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