नई दिल्ली: ये नया भारत है जो लगातार रक्षा क्षेत्र में आत्म-निर्भर की ओर कदम बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में देश की विशिष्ट नाम वाली सैन्य सैटेलाइट चीन जैसे दुश्मन देशों के जासूसी पोतों के खिलाफ शील्ड का काम करेगी। भारत के इन सैन्य उपग्रहों के नाम रुक्मिणी और एंग्री बर्ड हैं।
भारतीय सैटेलाइट्स जीसैट-7 रुक्मिणी समुद्र में दुश्मन देशों की चाल पर निगरानी रख रही है। एक प्रकार से यह कहा जा सकता है कि यह सैटेलाइट भारतीय नौ सेना की आंख बनकर काम कर रही है। यह उपग्रह हाल ही में श्रीलंका के बंदरगाह हंबनटोटा में डॉक हुई चीन की जासूसी पोत पर नजर बनाए हुए है। इसके अलावा जीसैट-7 एंग्री बर्ड सैटेलाइट के द्वारा हिंद महासागर में चीनी जहाज की निगरानी की जा रही है। दोनों ही सैटेलाइट्स सैन्य उपयोग के लिए हैं।
यहां यह उल्लेख करना उचित है कि वर्तमान में, भारत के पास केवल दो समर्पित सैन्य उपग्रह हैं - जीसैट -7 (रुक्मिणी) और जीसैट -7 ए (एंग्री बर्ड) - जिनका उपयोग क्रमशः भारतीय नौसेना और वायु सेना द्वारा किया जाता है। जीसैट -7 (रुक्मिणी) को साल 2013 में लॉन्च किया गया था। यह देश की सबसे पहली सैन्य सैटेलाइट है जिसका उपयोगी भारतीय नौसेना सुरक्षा निगरानी के लिए करती है।
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के मुताबिक जीसैट-7 उन्नत संचार उपग्रह है। यह नेवी के युद्ध पोतों, लड़ाकू जहाजों और पनडुब्बी के अलावा जमीनी स्तर होने वाले संचार को रियल टाइम से जोड़ती है। इसी प्रकार जीसैट-7A एंग्री बर्ड को साल 2018 में लॉन्च किया गया था। यह मुख्य रूप से भारतीय वायुसेना के लिए समर्पित है। यह भारतीय वायुसेना के लड़ाकू जहाजों, हेलीकॉप्टर्स, ड्रोन्स, रडार, के अलावा अन्य प्लेटफॉर्म को जोड़ता है।