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सूर्य ग्रहण 2020: भविष्य बताता है ग्रहण, जानिए सूर्य ग्रहण के बाद का समय ला रहा है खुशी या बर्बादी

By गुणातीत ओझा | Updated: June 20, 2020 22:02 IST

अथर्ववेद में सूर्य ग्रहण तथा चंद्रग्रहण को अशुभ तथा दुर्निमित कहा गया है। अत: राहु से ग्रस्त सूर्य की शांति के लिए प्रार्थना की गई है। आइये आपको बताते हैं सूर्य और चंद्रग्रहण से होने वाले शुभ और अशुभ.. शकुन-अपशकुन के बारे में..

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ठळक मुद्देज्योतिषाचार्यों के अनुसार, किसी भी पूर्ण ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले और ग्रहण के 12 घंटे बाद का समय ग्रहण सूतककाल कहलाता है।21 जून को सुबह 9:15 बजे ग्रहण शुरू हो जाएगा और 12:10 बजे दोपहर में पूर्ण ग्रहण दिखेगा। इस दौरान कुछ देर के लिए हल्का अंधेरा सा छा जाएगा।

solar eclipse june 21, 2020: साल का पहला सूर्य ग्रहण कल रविवार (21 जून 2020) को सुबह 9:15 बजे लगेगा। ग्रहण दोपहर बाद 03:04 बजे तक रहेगा। इस ग्रहण का मध्य 12:10 के आसपास रहेगा। इस समय सूर्य एक वलय/फायर रिंग/चूड़ामणि के रूप में नजर आएंगे। 21 जून यानि कल रविवार को लगने वाले ग्रहण का सूतक काल आज रात 09:15PM से शुरू होगा। सूतक काल के दौरान पूजा घर और मंदिरों के पट बंद रहते हैं। सूतक काल लगने से पहले ही अपने देवी देवताओं की पूजा कर उनके पट बंद कर देना चाहिए। सूतककाल खत्म होने के बाद लोग मंदिर और पूजा घरों को फिर से खोलते हैं। मूर्तियों पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें पवित्र किया जाता है और विधिवित पूजा पाठ पहले की तरह शुरू हो जाती है। अथर्ववेद में सूर्य ग्रहण तथा चंद्रग्रहण को अशुभ तथा दुर्निमित कहा गया है। अत: राहु से ग्रस्त सूर्य की शांति के लिए प्रार्थना की गई है। आइये आपको बताते हैं सूर्य और चंद्रग्रहण से होने वाले शुभ और अशुभ.. शकुन-अपशकुन के बारे में..

1. मेघ वर्षा के उपरांत इंद्रधनुष के दर्शन मंगल की सूचना देता है।

2. उषाकालीन सूर्य के दर्शन न होना अमंगलकारी माना गया है।

3. यात्रा के समय वायु का अवरुद्ध गति से प्रवाह अपशकुन माना गया है।

4. सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय निद्रा निमग्न होना, आलस्य की प्रतीति अशुभ एवं अमंगल की सूचक है।

5. सूर्य के आकार का धनुषाकार रूप में दिखाई देना अपशकुन कहा गया है।

6. गंदे जल या विकृत पदार्थों में यदि सूर्य का बिंब नजर आता है तो ऐसा दुर्भाग्य की सूचना देता है।

7. किसी पुण्य स्थल पर स्नान और जप करने से सूर्य तथा चंद्रग्रहण के दोष से मुक्ति मिलती है।

8. सूर्य तथा चंद्रग्रहण के अवसर पर सरोवर स्नान की महिमा कही गई है।

9. सूर्य का चंद्र की भांति दिखाई देना अशुभ एवं मृत्युसूचक माना गया है।

क्या है ग्रहण सूतककाल?

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, किसी भी पूर्ण ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले और ग्रहण के 12 घंटे बाद का समय ग्रहण सूतककाल कहलाता है। मान्यता है कि इस दौरान मंदिरों में पूजा पाठ या कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। सूतककाल समाप्त होने के बाद ही मंदिर खुलते हैं और लोग पूजा अनुष्ठान शुरू करते हैं।

6 घंटे लंबा होगा ग्रहणकाल

21 जून को सुबह 9:15 बजे ग्रहण शुरू हो जाएगा और 12:10 बजे दोपहर में पूर्ण ग्रहण दिखेगा। इस दौरान कुछ देर के लिए हल्का अंधेरा सा छा जाएगा। इसके बाद 03:04 बजे ग्रहण समाप्त होगा। यानी यह ग्रहण करीब 6 घंटे लंबा होगा। लंबे ग्रहण की वजह से पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है।

भारत के अलावा इन देशों में भी रहेगा सूर्य ग्रहण का प्रभाव

21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत के अलावा साउथ अफ्रीका, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कॉन्गो, इथोपिया, पाकिस्तान और चीन में भी दिखाई देगा। बताते चलें कि ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए, इससे आंख पर बुरा असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्र ग्रहण को आप नग्न आंखों से तो देख सकते हैं लेकिन सूर्य ग्रहण को नहीं। क्योंकि सूर्य ग्रहण से आपकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। सूर्य ग्रहण को देखने के लिए सोलर फिल्टर वाले चश्मों का प्रयोग करना चाहिए।

सूर्य ग्रहण में सावधानियां

सूर्य ग्रहण के दौरान लगने वाला सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पूर्व ही प्रभावी हो जाता है, जो ग्रहण की समाप्ति के साथ खत्म होता है। इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। ग्रहण काल में पूजा स्थल के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं ताकि ग्रहण का बुरा असर भगवान पर न पड़े। इस सूर्य ग्रहण के बाद स्नान, दान और मंत्र जाप करना विशेष फलदायी रहेगा।

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