Ram Mandir Pran Pratishtha Ceremony: अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह के लिए भव्य तैयारियां चल रही हैं। राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह 22 जनवरी को है। प्राण प्रतिष्ठा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी। इस भव्य कार्यक्रम को लेकर लोगों में भी उत्साह देखा जा रहा है। यहां हम आपके लिए श्री रामचरित मानस से अयोध्याकांड की कुछ चौपाइयां अर्थ सहित लेकर आए हैं। इन चौपाइयों के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी उस समय की अयोध्या का वर्णन कर रहे हैं जब भगवान राम विवाह के बाद अपने नगर लौटे थे।
जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥1॥
हिन्दी अर्थ -- जब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से (अयोध्या में) नित्य नए मंगल हो रहे हैं और आनंद के बधावे बज रहे हैं। चौदहों लोक रूपी बड़े भारी पर्वतों पर पुण्य रूपी मेघ सुख रूपी जल बरसा रहे हैं।
रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥2॥
हिन्दी अर्थ -- ऋद्धि-सिद्धि और सम्पत्ति रूपी सुहावनी नदियाँ उमड़-उमड़कर अयोध्या रूपी समुद्र में आ मिलीं। नगर के स्त्री-पुरुष अच्छी जाति के मणियों के समूह हैं, जो सब प्रकार से पवित्र, अमूल्य और सुंदर हैं।
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी॥3॥
हिन्दी अर्थ -- नगर का ऐश्वर्य कुछ कहा नहीं जाता। ऐसा जान पड़ता है, मानो ब्रह्माजी की कारीगरी बस इतनी ही है। सब नगर निवासी श्री रामचन्द्रजी के मुखचन्द्र को देखकर सब प्रकार से सुखी हैं।
मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥4॥
हिन्दी अर्थ -- सब माताएँ और सखी-सहेलियाँ अपनी मनोरथ रूपी बेल को फली हुई देखकर आनंदित हैं। श्री रामचन्द्रजी के रूप, गुण, शील और स्वभाव को देख-सुनकर राजा दशरथजी बहुत ही आनंदित होते हैं।