लाइव न्यूज़ :

गुड़ी पड़वा 2018: महाराष्ट्र में ही नहीं इन राज्यों में मनाया जाता है ये पर्व, जानें क्या है इसका महत्व

By धीरज पाल | Updated: March 18, 2018 14:07 IST

गुड़ी पड़वा के मौके पर घर के बाहर एक बांस या लकड़ी पर जरी को कोरी साड़ी लपेटकर उसके ऊपर तांबे का लोटा रखा रखा जाता है।

Open in App

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह से होती है। इस बार चैत्र का महीने की शुरुआत 18 मार्च से हो रही है। इसी दिन देशभर में चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा का पर्व जाएगा। हर साल गुड़ी पड़वा का त्योहार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा की तिथि पर पड़ती है। गुड़ी पड़वा का त्यौहार नववर्ष या नव-सवंत्सर के आरंभ की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार विशेषकर महाराष्ट्र में मनाया जाता है।

गुड़ी का मतलब होता है विजय पताका। इस पर्व को विजय पताका के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन घरों को सजाया जाता है, जगह-जगह आयोजन किए जाते हैं, प्रत्येक घरों के बाहर गुड़ी को टांगा जाता है। यह त्योहार इसलिए मानाया जाता है कि माना जाता कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का कार्य शुरू किया था। 

क्या होता है गुड़ी

महाराष्ट्र में ही नहीं यह त्योहार कई राज्यों में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। गुड़ी पड़वा के मौके पर घर के बाहर एक बांस या लकड़ी पर जरी को कोरी साड़ी लपेटकर उसके ऊपर तांबे का लोटा रखा रखा जाता है। आम तौर पर यह साड़ी केसरिया रंग का और रेशम का होता है। फिर गुड़ी को गाठी, नीम की पत्तियों, आम की डंठल और लाल फूलों से सजाया जाता है। गुड़ी को किसी ऊंचे स्थान जैसे कि घर की छत पर लगाया जाता है, ताकि उसे दूर से भी देखा जा सके। कई लोग इसे घर के मुख्य दरवाजे या खिड़कियों पर भी लगाते हैं।

 

गुड़ी पड़वा का महत्व

यह त्योहार सम्राट शालिवाहन द्वारा शकों को पराजित करने की खुशी में मनाया जाता है। कुछ लोग अपने घरों में गुड़ी छत्रपति शिवाजी की विजय को याद करने के लिए लगाते हैं।  कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विजय को याद करने के लिए भी गुड़ी लगाते हैं। जैसा कि मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इस दिन ब्रह्माड की रचना की थी। इसलिए गुड़ी को ब्रह्माध्वज भी माना जाता है। कुछ लोग भगवान राम द्वारा 14 वर्ष वनवास करके अयोध्या लौटे थे इसलिए यह त्योहार मनाते हैं। इस दिन माना जाता है कि गुड़ी लगाने से घर की समृद्धि बनी रहती है। कुछ लोग यह त्योहार पुरानी फसल के बाद नई फसल की तैयारी के लिए मनाते हैं, कुछ बदलते मौसम के लिए मनाते हैं।  

ये भी पढ़ें- गुड़ी पड़वा 2018 : मराठी नववर्ष पर अपने करीबियों को भेजे ये शुभ संदेश 

इन जगहों पर भी मनाते हैं गुड़ी पड़वा 

1. गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाता है।2. कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी नाम से जाना जाता है।

ये भी पढ़ें- गुड़ी पड़वा 2018 : जानें कब है गुड़ी पड़वा का पर्व, शुभ मुहूर्त व पूजा-विधि3. आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी नाम से मनाते हैं।4. कश्मीरी हिन्दू इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाते हैं।5. मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहलाता है।6. इस दिन चैत्र नवरात्रि भी आरम्भ होती है। 

टॅग्स :पूजा पाठमहाराष्ट्रगोवा
Open in App

संबंधित खबरें

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

क्रिकेटवैभव सूर्यवंशी की टीम बिहार को हैदराबाद ने 7 विकेट से हराया, कप्तान सुयश प्रभुदेसाई ने खेली 28 गेंदों में 51 रन की पारी, जम्मू-कश्मीर को 7 विकेट से करारी शिकस्त

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय