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मध्य प्रदेश उपचुनावः कमलनाथ क्या बीजेपी से सियासी बदला ले पाएंगे? डेढ़ दर्जन से ज्यादा सीटें आएं, तो बात बने!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: August 29, 2020 21:50 IST

ज्योतिरादित्य ने बीस से ज्यादा अपने साथी विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी, जिसके नतीजे में जहां कमलनाथ सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया, वहीं शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर सीएम की कुर्सी पर कब्जा कर लिया.

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ठळक मुद्देदो दर्जन से ज्यादा विधायकों के भविष्य का फैसला होना है और शिव-राज की सुरक्षा के लिए बीजेपी के एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों की जीत जरूरी है. जीत दिला कर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, शिवराज सिंह को सीएम पद से हटा कर अपना सियासी बदला लेने में कामयाब होंगे.सितंबर- 2020 में बदल जाएगा, इसलिए कामयाबी करीब तो नजर आएगी, लेकिन मिलेगी कितनी, यह उप-चुनाव के समय पर निर्भर है.

जयपुरःवर्ष 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी का शिव-राज तो समाप्त कर दिया और कमलनाथ सीएम भी बन गए, लेकिन कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सियासी समीकरण ऐसे बिगड़े कि ज्योतिरादित्य ने बीस से ज्यादा अपने साथी विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी, जिसके नतीजे में जहां कमलनाथ सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया, वहीं शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर सीएम की कुर्सी पर कब्जा कर लिया.

लेकिन, अभी सियासी खेल खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि विधानसभा उप-चुनाव में दो दर्जन से ज्यादा विधायकों के भविष्य का फैसला होना है और शिव-राज की सुरक्षा के लिए बीजेपी के एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों की जीत जरूरी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उप-चुनाव में करीब डेढ़ दर्जन उम्मीदवारों को जीत दिला कर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, शिवराज सिंह को सीएम पद से हटा कर अपना सियासी बदला लेने में कामयाब होंगे.

सियासत के सितारों पर भरोसा करें, तो कमलनाथ का वर्षफल बेहतर नतीजों के संकेत दे रहा है, किन्तु राजनीतिक का कारक ग्रह शनि अभी साथ नहीं दे रहा है, तो राहु भी सितंबर- 2020 में बदल जाएगा, इसलिए कामयाबी करीब तो नजर आएगी, लेकिन मिलेगी कितनी, यह उप-चुनाव के समय पर निर्भर है.

नवंबर- 2020 के पूर्वार्ध तक का समय उतना बेहतर नहीं है, परन्तु इसके बाद कमलनाथ अपने विरोधियों पर भारी पड़ेंगे, विजय की संभावना- 65 प्रतिशत से ज्यादा रहेगी. नवंबर का उतरार्ध और दिसंबर का पूर्वार्ध पराक्रम बढ़ाने वाला समय रहेगा, विरोधियों पर भारी रहेंगे.

लेकिन, दिसम्बर- 2020 के उतरार्ध और जनवरी- 2021 में विरोधियों की गुप्त गतिविधियां सियासी उलझने बढ़ानेवाली रहेंगी. धर्म-कर्म की ओर झुकाव रहेगा. फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई 2021, सियासी रिश्तों को लेकर परेशान कर सकते हैं. विरोधी राजनीतिक रूप से तनावग्रस्त रखेंगे. आस-पास के लोग भी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरेंगे.

विभिन्न कार्यों में अड़चनें संभव हैं, परन्तु यदि अच्छा समय नहीं रूकता है, तो खराब समय भी निकल ही जाता है. मई- 2021 से समय एक बार फिर करवट लेगा, जून, जुलाई, सितंबर और अक्टूबर के पूर्वार्ध तक का समय अच्छे दिन लेकर आएगा. इस समय में कोई बड़ी सफलता मिल सकती है. सितारों का गणित कहता है कि साथी-सहयोगियों ने कोई बड़ी गलती नहीं की, तो कमलनाथ सत्ता की बाजी पलट सकते हैं!  

टॅग्स :मध्य प्रदेशउपचुनावकमलनाथज्योतिरादित्य सिंधियाशिवराज सिंह चौहानकांग्रेसदिग्विजय सिंहभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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