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लोकसभा चुनाव: दुमका सीट से 8 बार जीत चुके हैं शिबू सोरेन, किसी भी पार्टी के लिए यहां सेंध मारना नामुमकिन

By पल्लवी कुमारी | Published: March 08, 2019 8:00 AM

Dumka Loksabha Seat: दुमका लोकसभा सीट झारखंड का एक मात्र ये ऐसा इकलौता सीट है, जिसने प्रदेश को दो मुख्यमंत्री दिए हैं। दुमका लोकसभा सीट से ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और बाबू लाल मरांडी सांसद रह चुके हैं।

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झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में दुमका लोक सभा सीट काफी महत्व रखता है। इस सीट पर सबकी नजरें होती हैं, वजह साफ है, झारखंड का एक मात्र ये ऐसा इकलौता सीट है, जिसने प्रदेश को दो मुख्यमंत्री दिए हैं। दुमका लोक सभा सीट से ही झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और बाबू लाल मरांडी सांसद रह चुके हैं। इस सीट को झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) का गढ़ माना जाता है। यहां से आठ बार झारखंड के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जीत चुके हैं। दुमका लोक सभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।

दुमका लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन हैं। 2014 की मोदी लहर में भी इनको कोई नुकसान नहीं हुआ। लोक सभा चुनाव में शिबू सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के सुनील सोरेन को भारी मतो से हराया था। 2014 में दुमका लोक सभा सीट पर 70.9 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।

शिबू सोरेन ( झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो)

कद्दावर नेता शिबू सोरेन को हराना आसान नहीं

शिबू सोरेन झारखंड के कद्दावर नेता हैं और दुमका में किसी भी पार्टी के लिए उन्हें हराना आसान नहीं होगा। बाबूलाल मरांडी इस सीट से दोबार चुनाव जीत चुके हैं। 2019 के लोक सभा चुनाव के लिए कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो), झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) और राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के बीच गठबंधन है। गठबंधन के मुताबिक झारखंड में कांग्रेस लोक सभा चुनाव में लीड करेगी। वहीं,  झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) विधानसभा चुनाव को संभालेगी। हालांकि बीजेपी ने झारखंड में कौन कहां से लड़ेगा इस पर फैसला नहीं किया है। आदिवासी वोटरों को झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) के तय वोटर माना जाता है। यही वजह है कि यहां से हर बार शिबू सोरेन जीत जाते हैं। 

बाबू लाल मरांडी, झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो)

दुमका लोक सभा सीट का परिचय

दुमका लोक सभा क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है और नक्सली प्रभावित भी है। इस लोक सभा सीट के अंदर जामताड़ा, देवघर आते हैं। दुमका जिले में छह विधानसभा सीट है। शिकारीपाड़ा, जामताड़ा, दुमका , नाला, सारठ और जामा है।  विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) ने चार सीटों पर दर्ज जीत की थी और बीजेपी कांग्रेस को एक-एक सीट मिली थी। 

इन सभी विधानसभा सीटों पर एसटी का दबदबा है। जिसमें आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के वोटर ज्यादतर शामिल हैं। सीट पर तकरीबन आधी आबादी आदिवासियों की है। लेकिन 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर भी हैं। आदिवासी वोटरों को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के तय वोटर माना जाता है। 

दुमका जिला का परिचय 

दुमका जिले की अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इसे झारखंड की उपराजधानी भी कहा जाता है। ये पूरा जिला जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है। जिले में कई ओषधी और जड़ी-बूटियों के पेड़ हैं। क्षेत्रफल में देखा जाए तो जिला 3,761 वर्ग. किमी. फैला हुआ है। यहां की 13,21,442 है। जिसमें पुरुष 6,68,514 और महिलाएं 6,52,928 हैं। जिले में 2925 गांव है। यहां  हिंदी, संथाली बोली जाती है। संथाली झारखंड की स्थानीय भाषाओं में से एक है। जिले में 90 फीसदी लोग गांव में रहते हैं और 10 प्रतिशत ही लोग शहरी हैं। 

केंद्र सरकार द्वारा घोषित 640 जिलों में से 250 सबसे पिछड़े जिलों में दुमका का भी नाम आता है। दुमका जिला झारखंड प्रदेश के उन 21 पिछड़े जिलों में से है जिसे बैकवर्ड रीजन ग्रांट फण्ड प्रोग्राम के तहत अनुदान मिलता है। 

दुमका लोक सभा सीट का राजनीतिक परिचय 

1957 में दुमका लोक सभा सीट से झारखंड पार्टी के देबी सोरेन जीते थे। 1962 में एस सी बेसरा जीते जो कांग्रेस के उम्मीदवार थे। 1971 में भी कांग्रेस एस सी बेसरा ही जीते थे। बता दें कि एस सी बेसरा दुमका सीट से तीन बार जीत चुके हैं। 1977 में यह सीट जनता पार्टी के पास चली गई और हेमब्रह्म बटेश्वर जीते। 1980 में पहली बार से इस सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर शिबू सोरेन जीते। हालांकि, 1984 पृथ्वी चंद किस्कू कांग्रेस की ओर से जीते। 1989 में शिबू सोरेन ने फिर से वापसी की और लगातार तीन बार 1991, 1996 के भी चुनाव जीते। 1998 में इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी बाबू लाल मरांडी जीते। 1999 में भी बाबू लाल मरांडी जीते।  2002 में शिबू सोरेन ने दुमका में झारखंड मुक्ति मोर्चा को फिर से जीतवाया। इसके बाद से वह लगातार 2004, 2009 और 2014 में जीते हैं। 

झामुमो के पार्टी अध्यक्ष हेमंत सोरेन

झारखंड महागठबंधन: कांग्रेस, झामुमो,  झाविमो और राजद का समीकरण 

झारखंड लोक सभा चुनाव में महागठबंधन के फैसला 2019 के फरवरी में ही हो गया है। लोक सभा चुनाव में कांग्रेस 7 सीटों पर तो झामुमो 4 झाविमो 2 और राजद 1 सीट पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटे झामुमो को दी जाएगी। गठबंधन के बाद सामने आई जानकारियों को मुताबिक (अभी तक) 14 लोक सभा सीटों में से राजमहल, दुमका और गिरिडीह से झामुमो है। कांग्रेस लोहरदगा, खूंटी, रांची, धनबाद और जमशेदपुर से प्रत्याशी खड़े करेगी। बाकी सीटों पर अभी फैसला नहीं आया है। सीटों के बंटवारे को झामुमो के पार्टी हेमंत सोरेन ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। बता दें कि हेमंत सोरेन शिबू सोरेन के बेटे हैं।  झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन को नेता घोषित किया गया है।

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