नई दिल्लीःकांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी केवल जुमला किया है।
वित्तमंत्री ने 3 करोड़ मार्जिनल किसानों को 4,00,000 करोड़ का फसली लोन उपलब्ध करवाते समय यह बताना भूल गईं कि एग्रीकल्चर सेंसस 2016 के मुताबिक देश में 10 करोड़ मार्जिनल किसान हैं, जो एक हेक्टेयर से कम भूमि जोतते हैं। तो फिर 7 करोड़ मार्जिनल किसानों का क्या होगा?
आज तीसरे दिन का आर्थिक पैकेज पूरे देश ने देखा। प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री की तीन दिन की "जुमला पैकेज घोषणाओं" से एक बात साफ है कि मोदी सरकार 'हैडलाइन मैनेजमेंट' से 'हेल्पलाइन मैनेजमेंट' तक का सफर तय करने में विफल साबित हुई है।
किसान को दिया जा रहा MSP फसल की लागत से भी कम है। परंतु न इसका हल बताया और न ही सही कीमत देने का रास्ता। केवल नया कानून बनाने के जुमले से क्या किसान को फसल का सही मूल्य मिल पाएगा? इसी प्रकार चना, मसूर, सरसों जैसी रबी की प्रमुख फसलों में MSP से भी कम कीमत मिलने से होने लगभग ₹21,000 करोड़ और मार्च-अप्रैल माह में फल, सब्जी, फूल पैदा करने वाले किसान को ₹10,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।
क्या वित्तमंत्री यह जानती हैं कि सरकार कुल फसल उत्पादन का मात्र 25-30% ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदती है- वो भी गेहूँ और धान। 2019-20 में रबी-खरीफ का कुल उत्पादन 26.90 करोड़ टन हुआ और MSP पर मात्र 7.19 करोड़ टन ही खरीदा गया। रबी फसलों की कीमत न मिल पाने से देश के किसान को ₹50,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। किसान को आकर्षक कीमत देने और कानून बनाने के बारे में आज वित्तमंत्री द्वारा बड़ी-बड़ी बातें कही गई, लेकिन ये नहीं बताया MSP पर फसल क्यों नहीं खरीद रही?
कांग्रेस ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त की घोषणा किए जाने के बाद शुक्रवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक पैकेज के नाम पर बजट की ही योजनाओं को सामने रख रही है और उसका यह पैकेज सिर्फ ‘13 शून्य’ साबित हुआ है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि मोदी सरकार के एजेंडे में किसान और मजदूर कहीं नहीं हैं। उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह जुमला घोषणा पैकेज है।
मोदी सरकार का 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज केवल ‘13 शून्य’ साबित हुआ है।’’ सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ‘‘वित्त मंत्री आर्थिक पैकेज के नाम पर बजट की योजनाओं को ही सामने रख रही हैं। बजट की योजनाओं को आर्थिक पैकेज के तौर पर पेश करना राष्ट्रहित के साथ खिलवाड़ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन दिनों में वित्त मंत्री ने जो घोषणाएं की हैं उनमें सिर्फ कर्ज की बात की गई है। किसानों और मजूदरों को कोई राहत नहीं दी गई। क्या मुश्किल के समय उन्हें कर्ज देकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है?’’
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कृषि उपज के रखरखाव, परिवहन एवं विपणन सुविधाओं के बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कृषि ढांचागत सुविधा कोष की घोषणा की। वित्त मंत्री ने यहां आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त की घोषणा करते हुए कहा कि इस कोष का इस्तेमाल शीत भंडारगृह, कटाई के बाद प्रबंधन ढांचे आदि के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (एमएफई) को संगठित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना की भी घोषणा की।