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बीजेपी की त्रिपुरा विजय के तीन आधार- नरेंद्र मोदी, मोदी दूत और योगी आदित्यनाथ

By स्वाति सिंह | Published: March 04, 2018 7:48 AM

त्रिपुरा की 60 विधान सीटों में से 59 के लिए चुनाव हुए थे जिनमें से बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें और लेफ्ट फ्रंट को 16 सीटें मिली हैं।

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अगरतला, 4 मार्च: त्रिपुरा में 25 साल लम्बे वामपंथी शासन को तीन मार्च को अवसान हो गया। बीजेपी ने जीत का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी, जनता और कार्यकर्ता को दिया है लेकिन पर्दे के पीछे इस जीत के तीन सूत्रधार बताए जा रहे हैं। वो तीन सूत्रधार हैं सुनील देवधर, बिप्लब कुमार देब और राम माधव। इन तीनों का ही बौद्धिक लालन-पालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पालने में हुआ है। तीनों ही आरएसएस से बीजेपी में आए हैं। सुनील देवधर त्रिपुरा के प्रभारी हैं। बिप्लब कुमार देब त्रिपुरा बीजेपी के अध्यक्ष हैं। राम माधव बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। असम के उप-मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सर्मा की भी बीजेपी की इस ऐतिहासिक जीत में बड़ी भूमिका मानी जा रही है। लेकिन बीजेपी की त्रिपुरा-विजय के रणनीतिकार सुनील देवधर की मानें तो पार्टी ने अपनी जीत की बुनियाद तीन आधार पर तैयार की। ये तीन आधार हैं- पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और मोदी दूत। 

अगस्त 2017 में इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में सुनील देवधर ने त्रिपुरा में अपनी पार्टी की रणनीति का खुलासा किया था। जब देवधर से पूछा गया कि आप त्रिपुरा में लेफ्ट फ्रंट के 25 सालों को शासन को कैसे खत्म करेंगे? इस पर देवधर ने पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ को इसके लिए अहम बताया था। देवधर ने ईटी से कहा था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शायद दो रैली करें और दो रैली वो चुनाव के दौरान कर सकते हैं। मोदीजी पहली रैली सितंबर (2017) में कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी त्रिपुरा चुनाव में महत्वपूर्ण कारक हैं। राज्य में करीब 35 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं जिनमें से करीब 90 प्रतिशत नाथ और देबनाथ समुदाय से तालुक्क रखते हैं और गोरखनाथ के अनुयायी हैं। योगी गोरखनाथ के शिष्य हैं और उन्होंने राज्य में आक्रामक प्रचार करना का वादा किया है। योगी राज्य में आते-जाते रहे हैं।”

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देवधर ने छह महीने पहले जो कहा था उसे उनकी पार्टी ने अमली जामा भी पहनाया। त्रिपुरा में 18 फ़रवरी को मतदान हुआ था। बीजेपी ने 12 फ़रवरी को योगी आदित्यनाथ की रैलियाँ करवाईं और 15 फ़रवरी को पीएम नरेंद्र मोदी की। मीडिया देवधर को बीजेपी की त्रिपुरा विजय के लीड हीरो के तौर पर पेश करने लगा है। खासकर उनके “मोदी दूत” की चुनावी नतीजे आने के बाद खूब चर्चा हो रही है। 

ईटी को दिए इंटरव्यू में ही देवधन ने बताया था कि बीजेपी के 24 कार्यकर्ताओं का समूह जिन्हें “मोदी दूत” कहा जाता है, हर सुबह रेल यात्रियों से दो पत्रों के साथ मिलते थे। एक पत्र में बीजेपी का केंद्र सरकार की उपलब्धियों का ब्योरा होता था और यात्रियों को सीपीएम के 24 सालों के “कुशासन” के बारे में बताया जाता था। बीजेपी के “मोदी दूत” आम लोगों से एक प्रश्नोत्तरी भी भरवाते थे। बाद में बीजेपी की राज्य इकाई इन लोगों से सम्पर्क करती थी। इसके अलावा बीजेपी ने राज्य के बाहर रहने वाले वोटरों को भी मतदान के लिए प्रेरित किया। 

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त्रिपुरा में जीत सुनिश्चित दिखने के बाद जब अमित शाह मीडिया के सामने आए तो उन्होंने पार्टी की जीत की श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी, जनता और आम कार्यकर्ताओं को दिया।  पीएम मोदी ने पिछले चार सालों में प्रधानमंत्री रहते हुए कई बार पूर्वोत्तर के राज्यों का दौरा किया। केंद्र सरकार ने इस दौरान कई हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएँ पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए शुरू की हैं। पीएम मोदी ने त्रिपुरा में भी जनता को माणिक और हीरा (हाईवेज, आईवेज, रोडवेज और एयरवेज) के बीच चुनने की अपील की थी। 

मोदी, योगी और मोदी दूत का फार्मूला बीजेपी के लिए कितना कारगर रहा ये शनिवार को आए नतीजों से साफ हो गया। त्रिपुरा की जनता ने “हीरा” चुन लिया है। अब देखना ये है कि उसे सचमुच का “हीरा” मिलता है या नहीं।

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