see pics, राजा महाकाल शाही सवारीः प्राचीन स्वरूप के साथ कला और संस्कृति संगम, स्वागत में लाल कालीन By बृजेश परमार | Published: August 17, 2020 8:36 PMOpen in App1 / 7भगवान श्री महाकालेश्वर की शाही सवारी में धर्मिक प्राचीन स्वरुप के साथ कला व संस्कृति का संगम दिखा।सोमवार को शाही सवारी निकाली गई।2 / 7पालकी में विराजित मनमहेश जैसे ही महाकाल मन्दिर परिसर से बाहर आये, कड़ाबीन के धमाकों से लोगों को राजाधिराज के आने की सूचना दी गई।3 / 7समूचा परिवर्तित सवारी मार्ग ध्वज, वंदनवार एवं गुब्बारों एवं फूलों से सजाया गया था। सवारी के लिये मार्ग में लाल कालीन बिछाया गया था।4 / 7सवारी के पूर्व श्री महाकालेश्वर मन्दिर के सभा मण्डप में भगवान श्री मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा ने किया।5 / 7इसके बाद भगवान के मनमहेश मुघौटे को रजत पालकी में विराजित किया गया। सभा मण्डप में संभागायुक्त आनन्द कुमार शर्मा ने सपत्नीक भगवान मनमहेश का विधिवत पूजन-अर्चन किया एवं आरती उतारी।6 / 7भगवान महाकालेश्वर की सवारी में पुलिस बैण्ड के बाद महाकाल का चांदी का ध्वज निकाला गया। इसके बाद सवारी निकली।सवारी के पीछे पांच मुखौटे एक रथ पर एवं हाथी पर चंद्रमौलेश्वर सवार होकर निकले। पूर्व सवारियों की तरह दो नगाड़े भी आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे।7 / 7इस दौरान प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारी पैदल ही चल रहे थे। परिवर्तित मार्ग अनुसार भगवान महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मन्दिर से बड़ा गणेश मन्दिर होते हुए हरसिद्धि मन्दिर चौराहा पहुंची। यहां से झालरिया मठ और बालमुकुंद आश्रम होते हुए सवारी रामघाट पर पहुंची। और पढ़ें Subscribe to Notifications