1 / 10आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो।2 / 10अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं।3 / 10घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।4 / 10हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते5 / 10ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे6 / 10मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे7 / 10सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें।8 / 10मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले9 / 10न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा10 / 10बोतलें खोल कर तो पी बरसों आज दिल खोल कर भी पी जाए