1 / 229 सितंबर 2021 को फ्रांस के मशहूर शहर कान्स में होने वाले फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई भारतीय फिल्म 'नीचा नगर' की पहली स्क्रीनिंग के 75 साल पूरे हो रहे हैं। फिल्म 'नीचा नगर' इकलौती ऐसी फिल्म है जो 75 साल बाद भी लोगों की याद से नीचे नहीं आई है। फिल्म में सर्वहारा समाज की खातिर गांधी टोपी पहने और चरखा चराने वाला एक आम आदमी किस तरह इलाके के सबसे बड़े दबदबे से टकराता है, यही इस फिल्म की कहानी है।2 / 2साल 1946 में कान फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई इस फिल्म को इस फेस्टिवल का बेस्ट फिल्म का सबसे बड़ा पुरस्कार मिला, जिसे अब तक कोई दूसरी भारतीय फिल्म हासिल नहीं कर पाई है। 75 साल बाद भारत में भी यह कहानी सामयिक है। यही क्लासिक फिल्मों की असली पहचान है। और, यही वजह है कि फिल्म 'नीचा नगर' का नाम सुनते ही भारतीय सिनेमा का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। यह उस समय की फिल्म है जब सत्यजीत रे सिनेमा के पर्दे पर भी नहीं उठे थे।