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इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले तैयार रखें ये जरूरी दस्तावेज

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: July 4, 2018 15:00 IST

अक्सर यह देखा जाता है कि आम लोगों को आईटीआर जमा करने में समस्याएँ आती हैं लेकिन कुछ ऐसे दस्तावेज़ हैं जिनके होने पर आईटीआर जमा करने के दौरान कोई परेशानी नहीं होती है।

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नई दिल्ली, 4 जुलाई: इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने की आखिरी तारिख 31 जुलाई है, ऐसे तमाम दस्तावेज़ हैं जिनकी ज़रूरत आईटीआर जमा करते हुए पड़ती है।  सरकार के आदेश के अनुसार अगर आप आईटीआर समय से जमा नहीं करते हैं तो आपको जुर्माना भी भरना पड़ेगा। अक्सर यह देखा जाता है कि आम लोगों को आईटीआर जमा करने में समस्याएँ आती हैं लेकिन कुछ ऐसे दस्तावेज़ हैं जिनके होने पर आईटीआर जमा करने के दौरान कोई परेशानी नहीं होती है।  फॉर्म 16

यह फॉर्म व्यावसायिक समूह द्वारा उसके कर्मचारियों को दिया जाता है जिसमें कुल TDS की कटौती से जुड़ी जानकारी होती है। व्यावसायिक समूहों का अपने कर्मचारियों को यह फॉर्म देना अनिवार्य होता है जिससे कि TDS से जुड़ी किसी भी प्रकार की कटौती की जानकारी उनके कर्मचारियों को मिल सके।  इसके साथ ही साथ फॉर्म 16 में पैन नंबर के लेन देन से संबधित जानकारी भी होती है।

ये भी पढ़ें: पोस्ट ऑफिस की ये खास स्कीमें देती है सेविंग अकाउंट से ज्यादा ब्याज, जानिए क्या है ऑफर

सैलरी स्लिप

वेतानधारकों को अपने सही वेतन के अलावा व्यावसायिक समूह से मिलने वाले तमा तरह के भत्तों की जानकारी भी देनी होती है।  भत्तों में यात्रा, स्वास्थ्य और रहने से जुड़े भत्ते शामिल हैं।  2017 -18 के वित्तीय वर्ष में बीस हजार से अधिक भत्ते पर कर लागू होता था वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 में चालीस हज़ार की कटौती स्वास्थ्य और यात्रा भत्तों में होती है।  इस सभी की जानकारी अमूमन सैलरी स्लिप में दी जाती है।

 फॉर्म 26AS

यह फॉर्म कर पासबुक होता है जो पैन के द्वारा सालाना कर लेन देन की जानकारी देता है। जिसमें कुछ चीज़े शामिल हैं,

1.    व्यावसायिक समूह द्वारा काटा गया टीडीएस (TDS)

2.    बैंक द्वारा काटा गया टीडीएस अगर इनकम पर 10,000 से अधिक ब्याज लगता है।

3.    हमारे द्वारा जमा किया गया एडवांस टैक्स

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टैक्स-बचत-निवेश प्रूफ

फाइनेंसियल इयर 2017-18 में किए निवेश और खर्च के प्रूफ लगाकर टैक्स को कम किया जा सकता है. इसे सेक्शन 80 C के तहत आने वाले कुछ प्रावधानों से इस फॉर्म को समझा जा सकता है। 

  -एम्प्लोयी प्रोविडेंट फंड (EPF)

 -पब्लिक प्रोविडेंट  फंड (PPF)

 -E। SS नीतियों के तहत म्युचुअल फंड में निवेश

 -जीवन बीमा के लिए किया गया भुगतान

 -नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)

बैंक से लिए गए होम लोन की जानकारी

साफ़ तौर पर, यदि आपने घर लेने के लिए किसी बैंक से क़र्ज़ लिया है तो उसकी पूरी जानकारी का फॉर्म आपके पास होना अनिवार्य है।  इसमें कुल राशि से जुड़ा ब्याज भी शामिल है जो कि सेक्शन 24 के अंतर्गत आता है।

 कैपिटल गेन्स (पूंजीगत लाभ)

यदि हमें संपत्ति बेचने से या म्युचुअल फंड से लाभ होता है तो उसकी जानकारी भी देना अनिवार्य है।  कैपिटल गेन्स जानने का सबसे आसान तरीका है कि कोई भी घर, ज़मीन या संपत्ति खरीदने की पूरी रसीद उपलब्ध होनी चाहिए।   

बैंक और पोस्ट ऑफिस के ब्याज से जुड़े दस्तावेज़

बचत, पोस्ट ऑफिस का बचत खाता, पोस्ट ऑफिस का बचत खाता और फिक्स डिपोजिट से जुड़े ब्याज की जानकारी देना भी अनिवार्य होगा।  आम नागरिक ब्याज से हुई कटौती की माँग कर सकता है सेक्शन 80 TTA के अंतर्गत।  इसके अलावा पासबुक का मार्च 2018 तक अपडेट रहना भी आवश्यक है।

और अंत में आधार कार्ड का रहना भी अनिवार्य है।

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