मुंबई। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को यहां भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई गलती नहीं करने के बावजूद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक मामले में उन्हें नामजद कर दिया गया, जबकि चुनावी हलफनामे से जुड़े 'अपराध' के लिए उच्चतम न्यायालय को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश देना पड़ा।
उन्होंने पूछा कि क्या भाजपा ''दमनकारी शासन'' नहीं चला रही है. वर्ष 2014 के चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने के मामले में फडनवीस को बंबई उच्च न्यायालय से मिली ''क्लीन चिट'' को शीर्ष न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने के बाद पवार ने यह टिप्पणी की।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) में हुए एक कथित घोटाले के सिलसिले में ईडी के एक मामले में पिछले महीने पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार, उनके भतीजे अजित पवार और 70 अन्य को नामजद किया गया था।
इस बीच, फड़नवीस को मंगलवार को उस समय झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने के कारण उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा।
पवार ने ट्वीट किया,''मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ लंबित मामलों का ब्यौरा नहीं दिया। उच्चतम न्यायालय को मुकदमा चलाने का आदेश देना पड़ा। जिसने अपराध किया है उसके खिलाफ मुकदमा चलाने का उच्चतम न्यायालय को आदेश देना पड़ा, जबकि अपराधी नहीं होने के बावजूद मुझे नामजद (ईडी के मामले में) कर दिया गया। क्या यह दमनकारी शासन नहीं है?''
पवार ने भाजपा नीत सरकार पर दबाव बनाने की तरकीब का सहारा लेने का आरोप लगाया और कहा कि ईडी ने कथित घोटाले के सिलसिले में उन्हें नामजद किया, जबकि वह बैंक के न तो निदेशक थे, न ही इसके संचालन मंडल के सदस्य थे। मैं इससे (प्राथमिकी से) नहीं डरता...हमें दबाव बनाने की इस तरह की तरकीब का इस्तेमाल खत्म करना होगा।
इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने मंगलवार को कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि शीर्ष न्यायालय ने 2014 के चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का ब्यौरा कथित तौर पर छिपाने को लेकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत दी है. सीएमओ ने एक बयान में कहा कि न्यायालय के फैसले का फडणवीस के जन प्रतिनिधि बने रहने या अगला चुनाव लड़ने पर कोई असर नहीं पड़ेगा।