Women's Reservation Bill आज राज्यसभा में होगा पेश, कानून की शक्ल लेने में बस एक कदम दूर, लोकसभा में 454 वोटों से हो चुका है पारित
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: September 21, 2023 07:44 IST2023-09-21T07:25:28+5:302023-09-21T07:44:36+5:30
'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किया गया और वहां पर 2 वोटों के मुकाबले 454 वोटों से यह विधेयक पारित हो गया है।

फाइल फोटो
नई दिल्ली: भारत की राजनीति में महिलाओं को विशेष आरक्षण सुविधा मिलने की मुहिम में मोदी सरकार को बीते बुधवार को बड़ी कामयाबी मिली, जब लोकसभा में मोदी सरकार द्वारा पेश किया गया 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' 2 वोटों के मुकाबले 454 वोटों से पारित हो गया।
लोकसभा में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' बिल पास होने से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घंटों तीखी बहस हुई लेकिन दिलचस्प बात यह थी कि दोनों ही पक्ष महिला आरक्षण बल के समर्थन में थे। एक तरफ सरकार इस बिल को ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही थी तो विपक्ष महिला आरक्षण बिल में एससी/एसटी के साथ-साथ पिछड़ी जाति की महिलाओं को कोटे में कोटे के तहत अलग से आरक्षण की मांग कर रहा था।
खैर, पक्ष-विपक्ष की इस आपसी रस्साकशी के बाद लोकसभा ने महिला आरक्षण विधेयक को 454 वोटों से पारित कर दिया। अब इसकी परख राज्यसभा में होनी है औऱ अगर यह बिल वहां भी पास हो जाता है तो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलना तय हो जाएगा।
लोकसभा में लंबी बहस के बाद आखिरकार कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा सरकार की ओर से जवाब के बाद संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया। विधेयक को सदन की कुल सदस्यता के बहुमत और सदन के "उपस्थित और मतदान करने वाले" सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित किया गया।
विधेयक को मतविभाजन के बाद पारित कर दिया गया, जिसमें 454 सदस्यों ने कानून के पक्ष में मतदान किया और दो सदस्यों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किए गए संशोधनों को सरकार की ओर से खारिज कर दिया गया। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने घोषणा की कि विधेयक पारित हो गया है। मालूम हो कि बीते मंगलवार को नए संसद भवन में स्थानांतरित होने के बाद 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' विशेष सत्र के दौरान लोकसभा द्वारा पारित पहला विधेयक है।
अब गुरुवार को उम्मीद है कि संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में इससे पहले 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भी महिला आरक्षण विधेयक पारित किया था, लेकिन उसे लोकसभा में नहीं लाया गया और बाद में संसद के निचले सदन में वह रद्द हो गया था।
इसके प्रावधानों के मुताबिक बिल के कानून बनने पर लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इन 181 सीटों में से 33 फ़ीसदी एससी-एसटी के लिए आरक्षित होंगी। यानी 181 में से एसटी-एससी कैटेगरी की 60 महिला सांसद होंगी। ये बिल सीधे जनता द्वारा चुने जाने वाले प्रतिनिधियों पर ही लागू होगा।
हालांकि महिला आरक्षण विधेयक भारत में परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही लागू हो सकता है। इसका मतलब यह है कि यह बिल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं किया जा सकता है। मौजूदा कानून के अनुसार, अगला परिसीमन साल 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के बाद ही किया जा सकता है। इसका प्रभावी अर्थ यह है कि विधेयक कम से कम 2027 तक कानून नहीं बन सकता है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि महिला कोटा 2029 के लोकसभा चुनाव तक लागू हो सकता है।