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कर्नाटक हाईकोर्ट ने बोम्मई सरकार को फटकार लगाते हुए क्यों कहा, "आप चाहते हैं कि शवों को सड़कों पर फेंका जाए", जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 10, 2022 18:10 IST

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शवों के लिए कब्रगाह न उपलब्ध करवाये जाने पर कड़ी फटकार लगाई। इस मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी वीरप्पा ने कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार कोर्ट के आदेश के साथ बेदह गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही है और इसके लिए उसे अपने आचरण पर शर्म आनी चाहिए।

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ठळक मुद्देकर्नाटक सरकार ने कब्रगाहों के लिए जमीन उपलब्ध न कराने के लिए राज्य सरकार को फटकारा कोर्ट ने कहा कि जिन शवों को कब्रगाह मिलनी चाहिए, क्या उन्हें आप सड़कों पर फेंकना चाहते हैंकर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को अपने गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए शर्म आनी चाहिए

बेंगालुरु:कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य की बसवराज बोम्मई सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि कि क्या आप यह चाहते हैं कि जिन शवों को कब्रगाह मिलनी चाहिए, उन्हें सड़कों पर फेंक दिया जाए। दरअसल राज्य के सर्वोच्च कोर्ट ने इतनी कड़ी टिप्पणी इसलिए कि क्योंकि सरकार कब्रगाहों के लिए जमीन उपलब्ध कराने में कथित तौर पर विफल रही है।

इस मामले में कोर्ट ने बीते गुरुवार को एक अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार को कोर्ट के आदेश का जरा भी सम्मान नहीं है और वो सीधे तौर पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बी वीरप्पा ने कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार कोर्ट के आदेश के साथ बेदह गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही है और इसके लिए उसे अपने आचरण पर शर्म आनी चाहिए।

उन्होंने राज्य सरकार के वकील को फटकारते हुए कहा, "क्या आप चाहते हैं कि जिन शवों को कब्रगाह में दफनाना चाहिए, उन्हें सड़कों पर फेंक दिया जाए क्योंकि सरकार उन शवों के लिए कब्रिस्तान नहीं उपलब्ध करवा पा रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और गंभीर विषय है कि सरकार का काम भी कोर्ट को करना पड़ रहा है।

इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर सरकार 15 दिनों के भीतर सभी गांवों और कस्बों में कब्रिस्तान उपलब्ध कराने के अदालती आदेश को नहीं पूरा करती है, तो इसे सीधे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा और इसके लिए राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को जेल भेज दिया जाएगा।

मालूम हो कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने मोहम्मद इकबाल की एक पूर्व याचिका के आधार पर राज्य को छह हफ्ते के भीतर उन गांवों में कब्रिस्तान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, जिनमें कब्रिस्तान नहीं था। हालांकि यह आदेश साल 2019 में हुआ था, जिसे राज्य सरकार अभी तक लागू नहीं कर पाई है। 

जब राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई पहल नहीं की गई तो याचिकाकर्ता इकबाल ने इस मामले में सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​याचिका दायर कर दी। जिस पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने मामले पर रिपोर्ट जमा करने के लिए कोर्ट से समय मांगा।

हालांकि कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील द्वारा समय मांगे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह किसी एक लापता व्यक्ति का मामला नहीं है, जिस पर सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की जरूरत है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

टॅग्स :Karnataka High Courtकर्नाटकबेंगलुरुBengaluru
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