Anti-Paper Leak Law: नीट और यूजीसी नेट परीक्षाओं में गड़बड़ियों को लेकर चल रहे विवाद के बीच, केंद्र सरकार ने पेपर लीक विरोधी कानून 2024 लागू कर दिया है। एंटी पेपर लीक कानून को परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए किया गया है। परीक्षा में कथित गड़बड़ी को लेकर इस समय देशभर के युवाओं में सरकार के खिलाफ विरोध है।
यह कदम केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा गुरुवार को दिए गए उस बयान के बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उनके भविष्य से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
क्या है पेपर लीक विरोधी कानून?
पेपर लीक विरोधी कानून या एंटी पेपर लीक कानून का उद्देश्य देश भर में आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं और सामान्य प्रवेश परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना है। इस अधिनियम का उद्देश्य यूपीएससी, एसएससी आदि जैसी भर्ती परीक्षाओं और नीट, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक और कदाचार को रोकना है।
मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है, "सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (2024 का 1) की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 21 जून, 2024 को उक्त अधिनियम के प्रावधानों के लागू होने की तिथि के रूप में नियुक्त करती है।"
गौरतलब है कि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम इस साल फरवरी में पारित किया गया था। पेपर लीक विरोधी विधेयक पहली बार 5 फरवरी, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था और 6 फरवरी को पेश होने के एक दिन बाद पारित किया गया था। इसके बाद, विधेयक 9 फरवरी, 2024 को संसद के ऊपरी सदन में पारित किया गया। दोनों सदनों में विधेयक के पारित होने के बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उसी महीने विधेयक को मंजूरी दे दी और यह कानून बन गया।
क्या है सजा का प्रावधान?
अधिनियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो पेपर लीक करने या उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करने का दोषी पाया जाता है, उसे कम से कम तीन साल की जेल की सजा हो सकती है, जिसे 10 लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। कानून में यह भी कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह परीक्षा प्राधिकरण, सेवा प्रदाता या किसी अन्य संस्थान सहित कोई संगठित अपराध करता है, तो उन्हें कम से कम पांच साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और कम से कम 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
बता दें कि यूजीसी-नेट 2024 परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक को लेकर चल रहे विवाद के बीच यह कदम महत्वपूर्ण हो गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक की जांच के लिए मामला दर्ज किया।