बंगाल और अंडमान के सभी न्यायिक अधिकारी मुझे ‘माय लॉर्ड’ या ‘लॉर्डशिप’ नहीं, ‘सर’ कहें: कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
By भाषा | Published: July 16, 2020 05:17 PM2020-07-16T17:17:29+5:302020-07-16T17:17:29+5:30
कोलकाताः कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन ने कहा कि बंगाल और अंडमान के सभी न्यायिक अधिकारी उन्हें ‘माय लॉर्ड’ या ‘लॉर्डशिप’ कहकर नहीं बल्कि ‘सर’ कहकर संबोधित करें।
एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि उच्च न्यायालय के महापंजीयक राय चटोपाध्याय की ओर से राज्य तथा अंडमान-निकोबार के जिला न्यायाधीशों और निचली अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र भेज कर मुख्य न्यायाधीश के इस संदेश से अवगत करवाया गया है।
पत्र में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश चाहते हैं कि ‘‘अब आगे से जिला न्यायपालिका, माननीय उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री के सदस्य माननीय मुख्य न्यायाधीश को ‘माय लॉर्ड’ और ‘लॉर्डशिप’ के स्थान पर ‘सर’ कहकर संबोधित करें।’’
‘माय लॉर्ड’ संबोधन की परंपरा खत्म करना चाहते हैं राजस्थान उच्च न्यायालय के जज
देश के किसी भी उच्च न्यायालय में पहली बार, राजस्थान उच्च न्यायालय ने वकीलों द्वारा जजों को संबोधित करते समय ‘माय लॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ कहने की पुरानी परंपरा को खत्म कर उन्हें केवल ‘सर’ बोलने को कहा है। उच्च न्यायालय ने जोधपुर और जयपुर में अपनी दो पीठों के सभी न्यायाधीशों की बैठक में जजों के लिए किए जाने वाले संबोधन के संबंध में यह फैसला लिया।
उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान में वर्णित समानता का सम्मान के लिए पूर्ण अदालत ने 14 जुलाई 2019 को अपनी बैठक में सर्वसम्मति से वकीलों और अदालत में पेश होने वालों को माननीय न्यायाधीशों को संबोधित करते समय ‘माय लॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ कहने से परहेज करने को कहा है। अधिसूचना में वकीलों और याचिकाकर्ताओं को जजों को संबोधित करते समय सिर्फ ‘सर’ या श्रीमानजी कहकर पुकारने को कहा गया है।