नई दिल्लीः लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के कामकाज पर चर्चा के लिए सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में आम सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं। इस बीच SIR मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा कि जो मतदाता जीवित ही नहीं है या स्थायी रूप से देश छोड़कर चला गया, जो देश का नागरिक नहीं है वो देश का मतदाता कैसे रहेगा? जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा, "ये SIR का काम 2003 में भी हुआ था और एक महीने में ही इसका सर्वेक्षण हुआ था। ये पहली बार नहीं हो रहा है और उस समय सरकार उन्हीं की थी जो लोग आज बोल रहे हैं..ये लोग चाहते क्या है?
जो मर चुके हैं उनके नाम पर भी वोट डलवाना चाहते हैं और जो बिहार से चले गए हैं वे चाहते हैं कि वो दो जगह वोट दें ? चुनाव आयोग ने 1 महीने का समय दिया है अगर कुछ गलत हो रहा है तो वे उनके पास जाकर शिकायत दे सकते हैं।" केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "ये SIR पहले 2023 में भी हुआ है और जब ये हारते हैं तो सब पर ये संदेह करते हैं-EVM, चुनाव आयोग पर संदेह करते हैं।
मैं पूछना चाहता हूं ये 2023 में सही था क्या? ये राहुल गांधी जैसे नेता 2023 में कर्नाटक में आप जीते लेकिन 2024 में लोकसभा में कम सीट आई तब बोल रहे हैं कि दिक्कत है...क्या दिक्कत है? जब कांग्रेस हारती है तब इन्हें सभी पर संदेह होता है।" RJD नेता तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार वाले बयान पर आगे उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि वे हार हैं इसलिए ऐसी बाते करते हैं।
भाजपा सांसद रवि किशन ने कहा कि हमारी सरकार चाहती है कि चर्चा हो ताकि सत्य पता चले लेकिन विपक्ष भागने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह हमारे लोकतंत्र की स्थिति को दर्शाता है।
समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से मांग कर रहे हैं कि लोकतंत्र की हत्या करना बंद करो। भाजपा सांसद जुएल ओरम ने कहा, "...विपक्ष द्वारा इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया का विरोध करना गणतंत्र के लिए ठीक नहीं है। मैं इसकी निंदा करता हूं, ऐसा नहीं होना चाहिए..."
संसद परिसर में विपक्ष का प्रदर्शन, एसआईआर लिखे पोस्टर फाड़कर कूड़ेदान में डाले
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के कई घटक दलों के सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ शुक्रवार को संसद भवन परिसर में मार्च किया और प्रतीकात्मक विरोध करते हुए एसआईआर लिखे पोस्टर फाड़कर कूड़ेदान में डाले।
विपक्ष के नेताओं ने महात्मा गांधी की प्रतिमा से संसद भवन के ‘मकर द्वार’ तक मार्च निकाला। इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और कई अन्य दलों के सांसद शामिल हुए।
संसद परिसर में ही विपक्षी नेताओं ने प्रतीकात्मक विरोध करते हुए एक कूड़ेदान रखा और फिर एसआईआर लिखे पोस्टर फाड़कर उसमें डाले। खरगे, राहुल गांधी और कई अन्य सांसदों ने भी ऐसा किया। विपक्षी सांसदों ने एक बड़ा बैनर भी ले रखा था, जिस पर ‘एसआईआर- लोकतंत्र पर वार’ लिखा हुआ था।
उन्होंने ‘एसआईआर वापस लो’ और 'तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे लगाये। विपक्षी सांसदों की मांग है कि इस विषय पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार गरीबों का मताधिकार छीनना चाहती है और रसूखदार लोगों को ही मताधिकार देना चाहती है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब बाबासाहेब आंबेडकर जी और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने देश के सभी लोगों के लिए मतदान सुनिश्चित किया, तो कहा था कि हमें बिना किसी भेदभाव के सभी को यह ताकत देनी चाहिए।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘आज भाजपा जिस गलत तरीके से मतदाता सूची का संशोधन करने की कोशिश कर रही है, वो बहुत बुरी बात है। इससे लोकतंत्र को नुकसान होता है, देश का नुकसान होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज चुनाव आयोग ने एक परिपत्र जारी किया है कि एसआईआर सिर्फ बिहार के लिए नहीं है, वे पूरे देश में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण करेंगे। यह बात उचित नहीं है।’’