नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जो कोई भी नाटक करना चाहता है, वह कर सकता है। यहां नाटक नहीं, बल्कि काम करने की बात होनी चाहिए...नारों पर नहीं, नीति पर जोर होना चाहिए। विपक्ष बिहार के नतीजों से परेशान, वह पराजय की निराशा से बाहर निकले। संसद का शीतकालीन सत्र केवल एक परंपरा नहीं है, यह भारत को विकास के पथ पर ले जाने के प्रयासों में ऊर्जा भरेगा। भारत ने लोकतंत्र को जिया है और यह बात बार-बार साबित हुई है, बिहार में हुए विधानसभा चुनाव ने भी यह दिखाया है।
मेरा सभी दलों से आग्रह है कि शीतकालीन सत्र में पराजय की बौखलाहट को मैदान नहीं बनना चाहिए और ये शीतकालीन सत्र विजय के अहंकार में भी परिवर्तित नहीं होना चाहिए। ये सत्र, संसद देश के लिए क्या सोच रही है, संसद देश के लिए क्या करना चाहती है, संसद देश के लिए क्या करने वाली है, इन मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए। विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए, चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए।
पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आएं। दुर्भाग्य ये है कि 1-2 दल तो ऐसे हैं कि वो पराजय भी नहीं पचा पाते। मैं सोच रहा था कि बिहार के नतीजों को इतना समय हो गया, तो अब थोड़ा संभल गए होंगे। लेकिन, कल जो मैं उनकी बयानबाजी सुन रहा था, उससे लगता है कि पराजय ने उनको परेशान करके रखा है।
जिस गति से आज भारत की आर्थिक स्थिति नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रही है। विकसित भारत के लक्ष्य के और जाने में ये हममें नया विश्वास तो जगाती ही है, नई ताकत भी देती है। एक तरफ लोकतंत्र की मजबूती और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर अर्थतंत्र की मजबूती को भी दुनिया बहुत बारीकी से देख रही है।
गत दिनों बिहार में जो चुनाव हुआ, उसमें मतदान का जो विक्रम हुआ, वो लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। माताओं-बहनों की जो भागीदारी बढ़ रही है, ये अपने आप में एक नई आशा, नया विश्वास पैदा करती है। भारत ने लोकतंत्र को जिया है। लोकतंत्र की उमंग और उत्साह को समय-समय पर इस तरह प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है। संसद का ये शीतकालीन सत्र सिर्फ कोई ritual नहीं है। ये राष्ट्र को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम ये शीतकालीन सत्र भी करेगा। ऐसा मुझे विश्वास है।
तंबाकू, पान मसाला पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की जगह लेने वाले विधेयक लोकसभा में होंगे पेश
सरकार जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर खत्म होने के बाद भी तंबाकू, पान मसाला और अन्य हानिकारक वस्तुओं पर कुल कर भार समान बनाए रखने के लिए दो विधेयक लोकसभा में पेश कर सकती है। इनके जरिये जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की जगह नया उपकर लगाया जाएगा। केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 तथा स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 को सोमवार को लोकसभा में पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी।
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक, 2025 के तहत सिगरेट सहित विभिन्न तंबाकू उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा, जो तंबाकू पर लगाए जा रहे जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर का स्थान लेगा। ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ पान मसाला पर लगाए जाने वाले मुआवजा उपकर की जगह लेगा।
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े खर्चों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना है। इसके तहत उन मशीनों या प्रक्रियाओं पर उपकर लगाया जाएगा, जिनके माध्यम से उक्त वस्तुओं का निर्माण या उत्पादन किया जाता है। वर्तमान में तंबाकू और पान मसाला पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है, और इसके साथ ही अलग-अलग दरों पर मुआवजा उपकर भी वसूला जाता है।