Lok Sabha Speaker Election: भाजपा सांसद ओम बिरला 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1975 आपातकाल को याद किया। विपक्ष ने विरोध किया। बिरला ने कहा कि यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की जिम्मेदारी निभाई। आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया और संविधान पर हमला किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "इमरजेंसी ने भारत के कितने ही नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था, कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई थी। इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में हम दो मिनट का मौन रखते हैं।"
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था, इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी। इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए, आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है। हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए।"
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी, सदन के सभी सदस्यों को मुझे फिर से सदन के अध्यक्ष के रूप में दायित्व निर्वाहन करने का अवसर देने के लिए सबका आभार व्यक्त करता हूं, मुझ पर भरोसा दिखाने के लिए भी मैं सभी का आभारी हूं। बिरला ने कहा कि यह 18वीं लोकसभा लोकतंत्र का विश्व का सबसे बड़ा उत्सव है।
अन्य चुनौतियों के बावजूद 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने पूरे उत्साह के साथ चुनाव में भाग लिया। मैं सदन की ओर से उनका और देश की जनता का आभार व्यक्त करता हूं। निष्पक्ष, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव प्रक्रिया संचालित करने के लिए और दूर-दराज के क्षेत्रों में भी एक भी वोट पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा किए गए प्रयासों के लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार बनी है। पिछले एक दशक में लोगों की अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं। इसलिए, यह हमारा दायित्व बनता है कि उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से पूरा करने के लिए हम सामूहिक प्रयास करें।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की लोकसभा में निंदा करते हुए बुधवार को एक प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि वह कालखंड काले अध्याय के रूप में दर्ज है ‘‘जब देश में तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया था’’।
इस दौरान सदन में कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया और नारेबाजी की। आपातकाल पर एक प्रस्ताव पढ़ते हुए बिरला ने कहा, ‘‘अब हम सभी आपातकाल के दौरान कांग्रेस की तानाशाही सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों की स्मृति में मौन रखते हैं।’’ इसके बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने कुछ देर मौन रखा, हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी और टोकाटाकी जारी रखी। मौन रखने वाले सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य और सत्तापक्ष के अन्य सांसद शामिल रहे।
बिरला ने कहा, ‘‘यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सरहाना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।’’ उनका कहना था, ‘‘भारत के इतिहास में 25 जून, 1975 को काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा।
उस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था और बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था।’’ बिरला ने दावा किया कि इंदिरा गांधी द्वारा ‘‘तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा गया था’’।
बिरला ने दावा किया कि आपातकाल के दौरान नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए थे। उनका कहना था, ‘‘यह दौर था कि जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया और पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर पाबंदी लगा दी थी, न्यायपालिका पर अंकुश लगा दिया था।’’
बिरला ने कहा, ‘‘उस वक्त कांग्रेस सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिए जिसने संविधान की भावनाओं को कुचलने का काम किया।’’ उन्होंने दावा किया कि आपातकाल के समय संविधान में संशोधन करने का लक्ष्य एक व्यक्ति के पास शक्तियों को सीमित करना था। आपातकाल के दौरान जान गंवाने वाले नागरिकों की स्मृति में कुछ देर मौन रखे जाने के बाद बिरला ने सभा की कार्यवाही बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के आधे घंटे बाद तक के लिए स्थगित कर दी।