नई दिल्लीः बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) गठबंधन के घटक दलों के सांसदों ने प्रदर्शन तेज कर दिया है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पुलिस बैरिकेड के ऊपर से कूद गए। दिल्ली पुलिस ने भारतीय ब्लॉक के नेताओं को संसद से भारत के चुनाव आयोग तक मार्च करने से रोक दिया, जो चुनावी बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान "मतदाता धोखाधड़ी" के आरोपों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए थे। समाजवादी पार्टी प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि वे हमें रोकने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस विपक्षी सांसदों को आयोग की ओर मार्च करने से रोक रही थी, तब वे विरोध प्रदर्शन करने के लिए बैठ गए।
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को निर्वाचन आयोग पर उत्तर प्रदेश चुनाव सहित बड़े पैमाने पर हुई अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारियों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर ‘‘वोट लूटने’’ की कोशिश की।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और शरद पवार सहित विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद भवन से निर्वाचन आयोग कार्यालय की ओर मार्च निकाला और निकाय पर ‘‘चुनावी धोखाधड़ी’’ का आरोप लगाते हुए जवाबदेही की मांग की। हालांकि, बिहार में मतदाता सूची संशोधन का विरोध कर रहे सांसदों को पुलिस ने निर्वाचन आयोग के मुख्यालय तक जाने से रोक दिया।
उनके रास्ते में अवरोधक लगा दिए। संसद परिसर के अंदर पत्रकारों को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि आयोग ने चुनावी कदाचार को लेकर उनकी पार्टी द्वारा बार-बार की गई शिकायतों को नजरअंदाज किया है। उन्होंने हाल में हुए एक उपचुनाव के दौरान लगे आरोपों को दोहराते हुए कहा, ‘‘यह पहली बार नहीं है जब निर्वाचन आयोग पर उंगलियां उठाई गई हैं।
उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा ने कई बार मुद्दे उठाए हैं।’’ सपा नेता के अनुसार, सरकार ने ‘‘वोट लूटने के लिए अधिकारियों का इस्तेमाल किया’’ और यहां तक कि मतदान के लिए सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया। यादव ने दावा किया, ‘‘हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं को बलपूर्वक रोका गया, पुलिस ने उन्हें रोका और अधिकारियों को जाति के आधार पर तैनात किया गया।
उन्हें निर्देश दिया गया था कि किसी भी हालत में भाजपा की जीत सुनिश्चित की जाए।’’ सपा प्रमुख ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर शिकायत की थी। उस वक्त उन्होंने दावा किया था कि सपा के 18,000 वोट जानबूझकर हटा दिए गए थे। उन्होंने यह जानना चाहा कि निर्वाचन आयोग ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ये वे लोग थे जिन्होंने 2019 में वोट दिया था, फिर भी 2022 में उनके नाम गायब हो गए। हमने निर्वाचन आयोग को हलफनामों के साथ एक सूची दी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।’’ यादव ने कहा कि रामपुर से एक तस्वीर भी कथित तौर पर प्रसारित की गई थी जिसमें एक पुलिस अधिकारी मतदाताओं पर रिवॉल्वर तानता दिख रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने तब भी शिकायत की थी। अगर ऐसा उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार के तहत हुआ होता, तो हम कार्रवाई करते। हमें उम्मीद है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार वोट चोरी में शामिल हर अधिकारी, चाहे वह बीएलओ हो, एसडीएम हो या जिला स्तर का अधिकारी हो, उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।’’
उन्होंने निर्वाचन आयोग से तेजी से कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘कछुए की गति से मत चलिए। अगर वोट देने का अधिकार छीन लिया गया, तो क्या लोकतंत्र बचेगा? हमारे पास अन्य मामलों के लिए त्वरित अदालतें हैं, लेकिन ऐसे मामलों के लिए सबसे तेज अदालतें होनी चाहिए।’’
सपा सांसदों ने कथित ‘‘वोट लूट’’ को लेकर संसद परिसर में भी प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में शामिल पार्टी सांसद डिंपल यादव ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि निर्वाचन आयोग जागे और जिस तरह से लगातार वोट लूटे जा रहे हैं...उसे स्वीकार करे।’’