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“रण, संवाद और आत्मनिर्भरता: बदलते भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति”, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले

By मुकेश मिश्रा | Updated: August 27, 2025 19:26 IST

रक्षा मंत्री ने देश को अप्रत्याशित भू-राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों के लिए चौकस एवं तैयार रहने का संदेश देते हुए कहा कि भविष्य के युद्ध अब केवल जमीन, समुद्र अथवा आकाश तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि अंतरिक्ष व साइबरस्पेस तक फैल गए हैं।

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इंदौर: मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित त्रि-सेवा सम्मेलन "रण संवाद 2025" में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत की सुरक्षा रणनीति अब केवल सेना का मामला नहीं रह गया है, बल्कि इसका दायरा सम्पूर्ण राष्ट्र की आर्थिक, तकनीकी व औद्योगिक ताकत तक विस्तृत हो गया है। 

रक्षा मंत्री ने देश को अप्रत्याशित भू-राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों के लिए चौकस एवं तैयार रहने का संदेश देते हुए कहा कि भविष्य के युद्ध अब केवल जमीन, समुद्र अथवा आकाश तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि अंतरिक्ष व साइबरस्पेस तक फैल गए हैं।

आधुनिक युद्ध और तकनीकी भूमिका 

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज उपग्रह प्रणालियां, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), और साइबर क्षमताएं सैन्य शक्ति का नया चेहरा बन चुकी हैं। भविष्य के युद्धों में सटीकता से वार करने वाले हथियार, रियल टाइम खुफिया जानकारी, और डेटा से संचालित सूचना किसी भी जीत की कुंजी बनेंगे। 

उन्होंने चेतावनी दी कि लगातार बदलती तकनीक के कारण, हमें नए नवाचारों और अप्रत्याशित चुनौतियों के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।

ऑपरेशन सिंदूर और आत्मनिर्भरता 

राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' को सशस्त्र बलों की बहादुरी, तकनीकी उत्कृष्टता और भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया। 

उन्होंने विशेष रूप से स्वदेशी प्लेटफॉर्म, उपकरणों और हथियार प्रणालियों की उपलब्धियां गिनाई और कहा कि आत्मनिर्भरता अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न आधार बन चुका है।

 फ्यूचर रेडी रक्षा रणनीति 

रक्षामंत्री ने कहा कि देश को ऐसे बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए जहां युद्ध दो महीने, चार महीने, एक साल, या पांच साल तक चल सकते हैं। सेना के प्रत्येक जवान को 2027 तक ड्रोन तकनीक की ट्रेनिंग देने का संकल्प भी किया गया है। 

साथ ही, उन्होंने डीआरडीओ के नए हथियारों, नौसेना के अत्याधुनिक युद्धपोत, और वायुसेना की उन्नत मिसाइल शक्ति को भारत की ताकत का उदाहरण बताया।

संपूर्ण राष्ट्र की जिम्मेदारी

रक्षा मंत्री ने कहा कि युद्ध केवल सैन्य क्षेत्र तक सीमित नहीं; इसमें देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, उद्योग व मीडिया जैसी सभी ताकतों का योगदान चाहिए। "भारत कभी पहले हमला नहीं करता, लेकिन चुनौती मिलने पर अपनी पूरी ताकत से जवाब देने को तैयार है,"।

सम्मेलन में तीनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारी—सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह सहित उद्योग, मीडिया, रक्षा विशेषज्ञ एवं पूर्व अधिकारी उपस्थित रहे।

टॅग्स :राजनाथ सिंहडिफेंस बजट इंडिया
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