(दूर्बा घोष)
गुवाहाटी, 27 मार्च कोविड-19 महामारी के खतरे के बावजूद असम विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान के दौरान शनिवार को मतदाता पूरी सावधानी बरतते हुए अपने घरों से निकले और वे मतदान केद्रों पर किये गये इंतजाम से संतुष्ट नजर आएं।
मतदाता इस बात से भी खुश थे कि जब माताएं वोट डालने मतदान केंद्रों के अंदर थी, तब उनके बच्चों की देखभाल का भी इंतजाम किया गया था। इसके अलावा दिव्यांग मतदाताओं को घर से लाने और वापस पहुंचाने का भी प्रबंध किया गया था।
राज्य की 126 सदस्यीय विधानसभा की 47 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ।
दुलियाजान विधानसभा क्षेत्र में 65 वर्षीय आमिया गोगोई ने कहा, ‘‘ मैं और मेरे पति कभी किसी चुनाव से दूर नहीं रहे, लेकिन इस बार हमें कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर थोड़ी हिचकिचाहट थी क्योंकि हम दोनों अन्य गंभीर रोगों से पीड़ित हैं।’’
उन्होंने कहा कि उनके दो बेटे जल्द मतदान कर लौटे और उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि कोविड-19 नियमों का कड़ाई से पालन हो रहा है और वे दोनों भी वोट डाल सकते हैं।
डिब्रूगढ़ में बैंक अधिकारी दिलीप फूकन को भी मतदान केंद्र पर जाने में शुरूआत में कुछ हिचकिचाहट थी, लेकिन जिला प्रशासन के उनके मित्रों ने जब उन्हें बताया कि कोविड-19 नियमों, जैसे मास्क पहनना, कतार में खड़े होने के लिए जगह-जगह गोल घेरा बनाया होना, सेनेटाइजर उपलब्ध रहना, थर्मल स्कैनर आदि के इंतजाम हैं, तब वह भी वोट डालने गये।
गोलाघाट में गोपाल चाय बागान की श्रमिक और तीन महीने के बच्चे की मां अनिमा तांती शुरू में वोट डालने जाने को अनिच्छुक थी, लेकिन जब पड़ोसियों को रंग-बिरंगी साड़ियों में देखा, तो वह अपने आप को रोक नहीं पायीं और वह बच्चे को लेकर मतदान केंद्र की ओर चल पड़ीं।
उन्होंने प्रसन्नता के साथ कहा, ‘‘ जब मैं मतदान केंद्र पर पहुंची तब मैं चकित थी कि मुझे बच्चे के साथ देखकर बैडू (संबंधित कर्मी) पास के एक सुंदर कमरे में ले गयी, जहां खिलौने और बच्चों के लिए अन्य सुविधाएं थीं। अन्य कर्मी ने तबतक मेरे बच्चे का ध्यान रखा, जबतक मैं वोट डालकर बाहर नहीं आई।’’
ऐसे 479 मतदान केंद्र थे, जहां सिर्फ महिला कर्मी तैनात थीं और इन मतदान केंद्रों में 128 को पारंपरिक ढंग से सजा-धजा कर आदर्श मतदान केंद्र बनाया गया था।
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