16 दिसंबर 1971, यही वो तारीख थी जब 13 दिन की जंग के बाद पाकिस्तान सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया और एक नये देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। इंदिरा गांधी ने लोकसभा में भारत की इस सफलता की घोषणा की। कहने को भारत ने केवल 13 दिन में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था लेकिन इसकी तैयारी काफी पहले से शुरू हो गई थी।
पूर्वी पाकिस्तान में लगातार बदलते हालात के बीच इंदिरा ने 27 मार्च, 1971 को लोकसभा में कहा था, 'इस गंभीर माहौल में जितना हम एक सरकार के तौर पर कम कहें, उतना ही अच्छा होगा।' फिर उसी दिन इंदिरा ने राज्य सभा में कहा, 'एक गलत कदम, एक गलत शब्द और हम जो चाहते हैं उससे बिल्कुल अलग परिणाम हो सकता है।'
यही नही, इंदिरा गांधी मार्च से अक्टूबर-1971 के बीच वे लगातार विदेश नेताओं को चिट्ठी लिखती रहीं और भारतीय सीमाओं पर लगातार बदल रही परिस्थिति की जानकारी दे रही थीं। बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) में गृह युद्ध के हालात थे और बड़ी संख्या में शरणार्थी भारत की ओर आ रहे थे।
ऐसे में इंदिरा गांधी ने रूस से लेकर जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका तक को भारत की स्थिति के बारे में बताया। कुल मिलाकर तस्वीर कुछ ऐसी बनती चली गई कि भारत को दिसंबर में पूर्वी पाकिस्तान में दाखिल होना पड़ा। हालांकि, इंदिरा गांधी चाहती थी कि भारत को दिसंबर तक इंतजार नहीं करना पड़े पर ये सेनाध्यक्ष जनरल सैम मॉनेकशॉ थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के आदेश को तब मानने से इनकार कर दिया।
जब सेनाध्यक्ष ने इंदिरा गांधी से पूछा- आपने बाइबल पढ़ी है?
बात अप्रैल, 1971 की है। इंदिरा गांधी ने एक आपात कैबिनेट बैठक बुलाई। इसमें वित्त मंत्री यशवंत चौहान, रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम, कृषि मंत्री फ़ख़रुद्दीन अली अहमद और विदेश मंत्री सरदार स्वर्ण सिंह मौजूद थे। साथ ही इस बैठक में सेनाध्यक्ष जनरल सैम मानेकशॉ को भी बुलाया गया।
कहते हैं कि इंदिरा ने मानेकशॉ की तरफ एक रिपोर्ट फेंकते हुए पूछा- 'क्या कर रहे हो सैम?' इस रिपोर्ट में पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थियों की बढ़ती समस्या का जिक्र था। सैम ने रिपोर्ट देखते हुए इंदिरा गांधी से पूछा कि वे भला इसमें क्या कर सकते हैं। इस पर इंदिरा ने जवाब दिया, 'मैं चाहती हूं कि तुम पूर्वी पाकिस्तान पर हमला करो।'
मानेकशॉ ने कहा कि 'मैडम इसका मतलब जंग है'। इंदिरा ने इस पर कहा कि जो भी है इस समस्या का हल मुझे तत्काल चाहिए। मानेकशॉ समझ गये कि इंदिरा गांधी जंग का आदेश दे रही हैं लेकिन जनरल ने इस पर प्रधानमंत्री से पूछा, 'क्या आपने बाइबल पढ़ी है?'
मानेकशॉ का ये सवाल पूछना था कि वहीं बैठे सरदार स्वर्ण सिंह बिफर गये और पूछा कि बाइबल से विषय का क्या मतलब है। इस पर जनरल ने कहा, 'पहले अंधेरा था, 'ईसा ने कहा कि उन्हें रोशनी चाहिए और रोशनी हो गयी लेकिन यह सब बाइबल जैसा आसान नहीं है कि आप कहें मुझे जंग चाहिए और जंग हो जाए।'
जनरल मानेकशॉ ने आगे कहा कि वे एक फौजी से और जंग से नहीं डरते लेकिन बात समझदारी और फौज की तैयारी की है। कहते हैं कि इंदिरा गांधी इससे नाराज भी हुईं लेकिन उन्होंने मानेकशॉ के सुझाव को माना और अपने हिसाब से युद्ध की तैयारी करने को कहा।