नई दिल्ली:पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे नेताओं व कार्यकर्ताओं को खदेड़ने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। इस दौरान का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। इस वीडियो में भाजपा नेता के सुरक्षा में लगे एक पंजाबी शख्स की पगड़ी उतारते व उस शख्स के साथ बदसलूकी करते पुलिस के जवानों को देखा गया।
सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना के बाद बंगाल पुलिस ने वीडियो साझा कर इस मामले में अपनी सफाई पेश की है। बंगाल पुलिस ने कहा कि जैसा कि वीडियो में देखा जा सकता है कि आपसी हाथापाई में गिरते समय सिख व्यक्ति की पगड़ी अपने आप खुल कर गिर गई थी।
अपने बयान में पुलिस ने कहा है कि संबंधित व्यक्ति कल के विरोध प्रदर्शन में हथियार ले जा रहा था। इसके साथ ही पुलिस ने यह भी कहा कि किसी भी समुदाय की भावनाओं को आहत करना हमारा उद्देश्य नहीं है।
सिख नौजवान की पगड़ी को खींचा गया
इस वीडियो में दिख रहा है कि पिटाई के दौरान बलविंदर सिंह की पगड़ी को खींचा गया, जिसके बाद पगड़ी खुल गई। साथ ही उन्हें सड़क पर क्रूरता के साथ घसीटा भी गया। इस वीडियो को देख लोग बंगाल पुलिस की आलोचना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि बंगाल पुलिस ने शख्स की पगड़ी उतारने की कोशिश करके एक तरह से भावनाओं को आहत किया है।
बीजेपी नेता ने शेयर किया वीडियो
दिल्ली बीजेपी नेता इंप्रीत सिंह बक्शी ने इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा है, "प्रियांगू पांडेय की सिक्योरिटी में तैनात बलविंदर सिंह की पगड़ी खींच-खींच कर उतारना, सड़क पर घसीट कर बर्बर तरीके से पीटा जाना बंगाल पुलिस की बर्बरता दर्शाता है। ममता बनर्जी दोषी पुलिसवालों पर सख्त कार्रवाई करो। इसी पगड़ी वाले सिखों ने बांग्लादेश बनाया था।"
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय, मुकुल राय के खिलाफ दंगा करने का मामला दर्ज
पश्चिम बंगाल में कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल राय जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर दंगा करने और महामारी अधिनियम का उल्लंघन करने का शुक्रवार को मामला दर्ज किया गया।
भाजपा के राज्य सचिवालय मार्च के दौरान बृहस्पतिवार को कोलकाता और हावड़ा की सड़कों पर पार्टी कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प हुई थी। एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश भाजपा प्रमुख दिलीप घोष, राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन और सांसद अर्जुन सिंह तथा लॉकेट चटर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
उन पर गैर कानूनी तरीके से एकत्र होने, दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने, आपराधिक तरीके से बाधा डालने और सरकारी सेवकों पर हमला करने तथा आपराध प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। इन नेताओं पर लगाई गई कुछ धाराएं गैर जमानती हैं।