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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः तालिबान को लेकर भारत की सही पहल

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: October 21, 2021 10:57 IST

अब भारत सरकार ने नवंबर में अफगानिस्तान के सवाल पर एक बैठक करने की घोषणा की है। इसके लिए उसने पाकिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, चीन और रूस के सुरक्षा सलाहकारों को आमंत्रित किया है।

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जब से तालिबान काबुल में काबिज हुआ है, अफगानिस्तान के सारे पड़ोसी देश और महाशक्तियां निरंतर सक्रिय हैं। वे कुछ न कुछ कदम उठा रही हैं लेकिन हमारे विदेश मंत्नी कहते रहे कि हमारी विदेश नीति है- बैठे रहो और देखते रहो की! मैं कहता रहा कि यह नीति है- लेटे रहो और देखते रहो की। चलो, कोई बात नहीं। देर आयद, दुरुस्त आयद! अब भारत सरकार ने नवंबर में अफगानिस्तान के सवाल पर एक बैठक करने की घोषणा की है। इसके लिए उसने पाकिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, चीन और रूस के सुरक्षा सलाहकारों को आमंत्रित किया है।

इस निमंत्नण पर मेरे दो सवाल हैं। पहला यह कि सिर्फ सुरक्षा सलाहकारों को क्यों बुलाया जा रहा है? उनके विदेश मंत्रियों को क्यों नहीं? हमारे सुरक्षा सलाहकार की हैसियत तो भारत के उपप्रधानमंत्नी- जैसी है लेकिन बाकी सभी देशों में उनका महत्व उतना ही है, जितना किसी अन्य नौकरशाह का होता है। हमारे विदेश मंत्नी भी मूलत: नौकरशाह ही हैं। नौकरशाह फैसले नहीं करते हैं। ये काम नेताओं का है। नौकरशाहों का काम फैसलों को लागू करना है। दूसरा सवाल यह है कि जब चीन और रूस को बुलाया जा रहा है तो अमेरिका को भारत ने क्यों नहीं बुलाया? इस समय अफगान-संकट के मूल में तो अमेरिका ही है। पता नहीं, पाकिस्तान हमारा निमंत्नण स्वीकार करेगा या नहीं? यदि पाकिस्तान आता है तो इससे ज्यादा खुशी की कोई बात नहीं है।

तालिबान के काबुल में सत्तारूढ़ होते ही मैंने लिखा था कि भारत को पाकिस्तान से बात करके कोई संयुक्त पहल करनी चाहिए। काबुल में यदि अस्थिरता और अराजकता बढ़ेगी तो उसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पाकिस्तान और भारत पर ही होगा। दोनों देशों का दर्द समान होगा तो ये दोनों देश मिलकर उसकी दवा भी समान क्यों न करें? इसीलिए मेरी बधाई! इस समय अफगानिस्तान को सबसे ज्यादा जरूरत खाद्यान्न की है। भुखमरी का दौर वहां शुरू हो गया है। यूरोपीय देश गैर-तालिबान संस्थाओं के जरिए मदद पहुंचा रहे हैं लेकिन भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। इस वक्त यदि वह अफगान जनता की खुद मदद करे और इस काम में सभी देशों की अगुवाई करे तो तालिबान भी उसके शुक्र गुजार हो जाएंगे और अफगान जनता तो पहले से उसकी आभारी है ही। विभिन्न देशों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भारत क्या-क्या मुद्दे उठाए और उनकी समग्र रणनीति क्या हो, इस पर अभी से हमारे विचारों में स्पष्टता होनी जरूरी है।

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