लखनऊः उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव तीन चरणों में होंगे. मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग के अफसरों के साथ हुई पुलिस महकमे के अधिकारियों की बैठक में इसे लेकर करीब-करीब अंतिम फैसला हो गया है. अभी चुनाव की तारीखों पर फिलहाल हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है.
ऐसे में आयोग की निगाहें न्यायालय पर टिकी हुई हैं. न्यायालय से हरी झंडी मिली तो इसी सप्ताह चुनाव की घोषणा करते हुए तीन चरणों में निकाय चुनाव कराए जाने का ऐलान किया जाएगा. राज्य में 15 जनवरी के पहले निकाय चुनाव कराए जाने थे, लेकिन आरक्षण संबंधी आपत्तियों को चलते न्यायालय में ने अभी चुनाव की घोषणा पर रोक लगा रखी है.
राज्य की कुल 762 नगरीय निकायों में चुनाव होने हैं. इनमें 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका परिषद और 545 नगर पंचायतें शामिल हैं. इन सभी नगरीय निकायों में 13,965 वार्ड हैं, जिनमें पार्षद या सदस्य के पदों पर चुनाव होने हैं. चार करोड़ से अधिक मतदाता निकाय चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग कर शहरी सरकार को चुनेंगे. सूबे के शहरी क्षेत्रों में अपने जनाधार को बढ़ाने तथा अपनी वोटबैंक को मजबूत करने में निकाय चुनाव हर दल के लिए महत्व रखते है.
जिसके चलते यूपी की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), आम आदमी पार्टी (आप), अपना दल (स), निषाद पार्टी और भीम आर्मी सहित ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन अपने प्रत्याशी खड़ा करेंगी.
पिछले चुनाव भी तीन चरणों में हुए थे
ऐसे में निकाय चुनावों के उत्तर प्रदेश में तीखा राजनीतिक संघर्ष होने की उम्मीद है. अब चूंकि निकाय चुनावों के लिए प्रदेश पुलिस के पास तैयारियों के लिए ज्यादा समय भी नहीं है. जिसके चलते पुलिस के सीनियर अफसर राज्य में तीन चरणों में चुनाव करना चाहते हैं. इसके मद्देनजर ही प्रदेश पुलिस ने चुनाव कराने की कार्ययोजना तैयार की है.
राज्य की एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के अनुसार निकाय चुनाव के लिए प्रदेश पुलिस की तैयारी पूरी है. राज्य में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल उपलब्ध है. अगर चुनाव तीन चरण में होता है तो हर मंडल के कम से कम एक जिले का चुनाव हर चरण में होगा. जो बड़े मंडल हैं वहां के दो या उससे अधिक जिले चुने जा सकते हैं.
वहीं दो चरणों में चुनाव के लिए सभी 18 मंडलों को दो भागों में बांटकर चुनाव कराने का खाका तैयार किया गया है. प्रशांत कुमार के अनुसार, वर्ष 2017 में भी निकाय चुनाव तीन चरणों में करवाए गए थे. तब पहले चरण में राज्य के 24 जिलों में 22 नवम्बर, फिर दूसरे चरण में 25 जिलों में 26 नवम्बर और फिर 29 नवम्बर को तीसरे चरण में 26 जिलों में मतदान करवाया गया था.
पहली दिसंबर को मतगणना के बाद नतीजे घोषित हुए थे. वर्ष 2017 में हुए इन चुनावों के लिए तैयारी की गई वोटर लिस्ट में 3.32 करोड़ वोटर थे, इस बार चूंकि निकायों की संख्या बढ़ी है इसलिए वोटरों की तादाद बढ़ गई. इस बार नगर निकाय चुनाव में 4,27,40,320 मतदाता शहरों की सरकार को चुनेंगे.
ऐसे में इस बार भी तीन चरणों में चुनाव होने की स्थिति में पुलिस के सामने ज्यादा बड़ी चुनौती नहीं आएगी और प्रदेश पुलिस अपने संसाधनों से चुनाव संबंधी सारे इंतजाम कर लेगी. लेकिन अगर दो चरणों में चुनाव कराने का फैसला हुआ तो तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
पुलिस के सीनियर अफसरों को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार और निर्वाचन आयोग तीन चरणों में निकाय चुनाव कराने पर सहमत होंगे. निकाय चुनावों की तैयारियों में जुटे पुलिस अफसरों के अनुसार पुलिस मुख्यालय में कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है. इस कंट्रोल रूम के जरिए निकाय चुनाव कराने वाले पुलिस अफसरों को निर्देश दिए जाएंगे.
ताकि शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराए जा सके. निकाय चुनाव के दौरा प्रदेश पुलिस केंद्र सरकार के सीआरपीएफ और रैपिड एक्शन फ़ोर्स उपलब्ध कराने की मांग भी करेंगी, ताकि विषम परिस्थतियों में इसका उपयोग कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर रखने में किया जा सके.