मेघालय की प्रसिद्ध “लकडोंग हल्दी” अब यूएसए के लोगों को स्वस्थ करेगी। मेघालय के जयन्तिया हिल्स जिले में एक एफपीओ ने लकडोंग हल्दी से न्यूट्रास्यूटिकल्स बनाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की एक कंपनी संग सहयोग करार किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मेघालय के मुख्यमंत्री कानराड के संगमा और किसानों बधाई देते हुए कहा कि आज पूर्वोत्तर की लकडोंग हल्दी की प्रसिद्धि सात समुंदर पार पहुंच गई है।
तोमर ने कहा कि मेघालय के किसान अलग जलवायु में भी श्रेष्ठ किस्म की हल्दी सहित अन्य फसलें उगा रहे रहे हैं। भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है जो वैश्विक उत्पादन में 80% से अधिक का योगदान देता है। देश विश्व का सबसे बड़ा हल्दी निर्यातक भी है। भारत में उत्पादित हल्दी का करीब 16 से 17% हल्दी पाउडर, करक्यूमिन पाउडर, तेल और ओलेओरिंस सहित निर्यात उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत से हल्दी का निर्यात काफी बढ़ा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने मेघालय की पारिस्थितिक स्थिति की विशिष्टता की पहचान की है, जो राज्य के अन्य स्थानों की तुलना में बहुत अधिक कुरकुमिन वाली ‘लकडोंग’ प्रजाति की हल्दी का उत्पादन करने में सक्षम बनाता है।
इस अनूठी प्राकृतिक किस्म ने इस क्षेत्र के किसानों को राज्य में सर्वोत्तम हल्दी मसाले का उत्पादन करने का सुनहरा अवसर दिया है।पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए आईसीएआर के पूर्वोत्तर अनुसंधान परिसर ने लकडोंग से एक उच्च उपज व उच्च कुरकुमिन वाली प्रजाति का चयन किया है और इसे 'मेघा हल्दी 1' के रूप में जारी किया है।
तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय द्वारा एमआईडीएच के तहत सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को बागवानी विभागों से हल्दी सहित राइज़ोमेटिक मसालों की खेती के लिए 30 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाती है। इस तरह की पहल से छोटे किसानों का काफी मनोबल बढ़ेगा व आय सहायता मिलेगी। लकडोंग हल्दी लॉन्चिंग कार्यक्रम में मेघालय के मुख्यमंत्री कानराड के. संगमा ने कहा कि मेघालय की लकडोंग हल्दी उगाने वाले किसानों के लाभ तथा इसकी ब्रांडिंग के लिए दो साल से मिशन शुरू किया गया है। इसके माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य है।