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संयुक्त प्रेस वार्ता में US विदेश मंत्री ने उठाया भारत में मानवाधिकार उल्लंघन बढ़ने का मुद्दा, राजनाथ और जयशंकर ने साधी चुप्पी

By विशाल कुमार | Updated: April 12, 2022 10:35 IST

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यह टिप्पणी अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान की।

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ठळक मुद्देब्लिंकन ने कहा कि हम भारत में हाल के कुछ घटनाक्रमों की निगरानी कर रहे हैं।ब्लिंकन ने यह टिप्पणी ब्लिंकन ने यह टिप्पणी और रक्षा मंत्री के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान की।राजनाथ सिंह और एस. जयशंकर ने उनके द्वारा उठाए गए मानवाधिकार के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की।

वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पहली बार भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर सीधी और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में मानवाधिकारों के हनन में वृद्धि की अमेरिका निगरानी कर रहा है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ब्लिंकन ने सोमवार को कहा कि हम इन साझा मूल्यों (मानवाधिकारों के) पर अपने भारतीय भागीदारों के साथ नियमित रूप से जुड़ते हैं और इसके लिए, हम भारत में हाल के कुछ घटनाक्रमों की निगरानी कर रहे हैं जिनमें कुछ सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन में वृद्धि शामिल है।

ब्लिंकन ने यह टिप्पणी अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान की।

जहां ब्लिंकन ने इस संबंध में विस्तार से चर्चा नहीं की तो वहीं उनके बाद बोलने वाले राजनाथ सिंह और एस. जयशंकर ने उनके द्वारा उठाए गए मानवाधिकार के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की।

ब्लिंकन की टिप्पणी से कुछ दिन पहले ही अमेरिकी प्रतिनिधि इल्हान उमर ने मानवाधिकारों पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आलोचना करने के लिए अमेरिकी सरकार की कथित अनिच्छा पर सवाल उठाया था।

राष्ट्रपति जो बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी के उमर ने पिछले सप्ताह कहा था कि मोदी को ऐसा क्या करने की जरूरत है जब हम उन्हें शांति का साथी मानना बंद करेंगे?

बता दें कि, साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया जा रहा है।

मोदी के सत्ता में आने के बाद से, दक्षिणपंथी हिंदू समूहों ने अल्पसंख्यकों पर हमले शुरू कर दिए हैं और दावा किया है कि वे धर्म परिवर्तन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। कई भारतीय राज्य धर्मांतरण विरोधी कानूनों को पारित कर चुके हैं या उन पर विचार कर रहे हैं जो धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार को चुनौती देते हैं।

2019 में सरकार ने एक नागरिकता कानून पारित किया, जिसके बारे में आलोचकों ने कहा कि इसने पड़ोसी देशों के मुस्लिम प्रवासियों को बाहर करके भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान को कमजोर किया।

इसके बाद 2019 में सत्ता में दोबारा चुनकर आने के बाद सरकार ने जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा छिनकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया और सभी स्थानीय नेताओं को करीब साल भर या उससे भी अधिक समय तक कैद में रखा।

मोदी की भाजपा ने हाल ही में कर्नाटक राज्य में कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कट्टरपंथी हिंदू समूहों ने बाद में और अधिक भारतीय राज्यों में इस तरह के प्रतिबंधों की मांग की।

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