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मेरठ की ये महिला 100 दिन बाद हुई कोरोना से ठीक, कहा- मैं अपने परिवार के लिए जिंदा रही

By दीप्ती कुमारी | Updated: July 31, 2021 14:46 IST

मेरठ की अर्चना देवी अप्रैल महीने में कोरोना के गंभीर लक्ष्णों से पीड़ित थी और 100 दिन क गहन इलाज के बाद वह स्वस्थ होकर अपने घर गई । इस जंग में उनके परिवार और डॉक्टरों ने उनका पूरा साथ दिया और उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी ।

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ठळक मुद्देमेरठ की अर्चना देवी ने 100 दिनों बाद कोरोना से जीती जंगइतने खराब हालातों में भी बेटे ने मां का बंधाया साहस डॉक्टरों ने हर समय दिया साथ, आईसीयू से सीधे गई घर

मेरठ : व्यक्ति का साहस और धैर्य उसे हर जंग से पार पाने की ताकत देता है । ऐसी ही कहानी है मेरठ की 45 वर्षीय अर्चना देवी की , जिन्होंने 100 दिन बाद कोरोना को मात देकर शुक्रवार को बिल्कुल ठीक हो गई ।  इसे भारत के सबसे लंबे समय तक चले उपचारों में से एक कहा जा सकता है । अर्चना देवी को अप्रैल महीने में मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था । 

अर्चना कोरोना के गंभीर लक्ष्णों से पीड़ित थी और उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी । उस समय देश में प्रतिदिन 3 लाख से अधिक मामले सामने आ रहा थे । ऐसे में 21 अप्रैल को उनकी तबीयत और बिगड़ गई और परिवार ने सोचा कि अब उन्हें बचाना मुश्किल है लेकिन भगवान और डॉक्टरों की मेहनत ने अर्चना को हारने नहीं दिया ।

बेटे के हिम्मत ने दी ताकत 

हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद अर्चना ने कहा कि मैं अपने परिवार के लिए जिंदा रही । मुझे एक दिन याद है जब मैंने सोचा कि यह वह दर्द है जो मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा लेकिन एक चीज जिस ने मुझे रोका । वह मेरी बेटे की आवाज थी वह कहता रहा कि सब ठीक हो जाएगा।

हम उम्मीद खो रहे थे 

उनके बड़े बेटे पुनीत कुमार ने कहा वार्ड में आने वाले लगभग हर मरीज की कुछ हफ्तों में मौत हो रही थी । हमने उम्मीद खो दी थी । उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जब उन्हें मवाना से अस्पताल लाया गया था  । अर्चना का ऑक्सीजन लेवल 30 परसेंट से भी कम था उनकी धड़कनें तेज चल रही थी और बुखार भी था । वह बेहोश हो रही थी।

अर्चना का इलाज कर रही डॉक्टर योगिता सिंह ने कहा कि अस्पताल के 5 डॉक्टर 24 घंटे कोर्ट वार्ड में रहते थे। अर्चना जैसे कोविड मरीजों के लिए अप्रैल और मई महीना काफी कठिन रहा । मरीज मर रहे थे,परिवार हमारा सहयोग नहीं कर रहे थे लेकिन अर्चना के साथ उनके परिवार ने बड़ी मदद की।

100 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट पर रही 

जैसे ही अर्चना को अस्पताल में भर्ती कराया गया । उन्हें बीआईपीएपी पर रखा गया जो फेफड़ों और हृदय से संबंधित गंभीर बीमारियों वाले लोगों के लिए एक स्वास्थ्य सहायता उपकरण है । उन्हें इस रेस्पिरेट्री सपोर्ट पर 2 महीने तक रखना पड़ा । इस दौरान एक समय ऐसा भी आया जब चीजें इतनी बिगड़ गई की उन्हें 100 फ़ीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा ।

ब्लैक फंगस की भी हुईं शिकार 

सिंह ने कहा कि लेकिन जून के मध्य में ब्लैक फंगस नाम की एक और बीमारी ने मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया । उनकी नाक और आंखों के आसपास निशान और फुंसी हो गई थी । यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रक्रिया को कमजोर करते हैं । इस बीच उनके फेफड़ों को साफ करने के लिए डॉक्टरों ने दो सप्ताह पहले छाती की फिजियोथरेपी शुरू की और इससे उन्हें काफी मदद मिली और वह ठीक हो गई । उन्हें सीधे आईसीयू से छुट्टी दे दी गई । अर्चना के पति बीर सिंह एक किसान है जबकि उनके दो बेटे पुनीत और कुणाल दोनों फॉर्मेसी के छात्र है, अब उन्हें घर ले गए हैं । 

यह भारत के सबसे लंबे उपचारों में से एक था । इस साल जनवरी में गुजरात के सोला के एक व्यक्ति देवेंद्र परमार को 113 दिनों बाद कोविड से ठीक होने पर अस्पताल से छुट्टी मिली थी । इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय अग्रवाल ने कहा कि अर्चना निश्चित रूप से देश में सबसे लंबे समय तक  अस्पताल में रहने वाली कोविड मरीज है ।  

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