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UP: पीडीए के नारे के साथ ब्राह्मणों को भी साधेंगे अखिलेश, यूपी की 40 लोकसभा सीटों पर सवर्ण वोटर तय करते हैं जीत-हार

By राजेंद्र कुमार | Updated: December 22, 2023 19:02 IST

समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) के नारे को प्रमुखता देते हुए ब्राह्मण समाज पर अपना ध्यान केंद्रित किया है।

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ठळक मुद्देयूपी की राजनीति में दलित समाज से लेकर पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय की भी अहम भूमिका हैसूबे में करीब 20 फीसद सवर्णों की आबादी भी चुनावी हवा का रुख मोड़ने में अहम भूमिका निभाती हैसवर्ण समाज को अपने साथ लाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कदम उठाया

लखनऊ: तकरीबन 23 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित समाज से लेकर पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय की भी अहम भूमिका है। इसके साथ ही सूबे में करीब 20 फीसद सवर्णों की आबादी भी चुनावी हवा का रुख मोड़ने में अहम भूमिका निभाती है। यही वजह है कि अब समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) के नारे को प्रमुखता देते हुए ब्राह्मण समाज पर अपना ध्यान केंद्रित किया है और अब उन्होने ब्राह्मण समाज को साधने के लिए ब्राह्मणों के स्वाभिमान को लेकर लखनऊ में पार्टी मुख्यालय पर इसी 24 दिसंबर को महापंचायत के आयोजन को अनुमति पार्टी नेताओं को दी है। अखिलेश यादव इस महापंचायत के मुख्य अतिथि होंगे।

मुलायम की तर्ज पर अखिलेश का आयोजन 

सपा नेताओं का कहना है कि सवर्ण समाज को अपने साथ लाने के लिए अखिलेश यादव ने यह कदम उठाया है। मुलायम सिंह यादव भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के पहले ब्राह्मण समाज की महापंचायत किया करते थे। ऐसी महापंचायतों में जनेश्वर मिश्रा सरीखे बड़े नेता स्वर्ण समाज के मुददों को उठाया करते थे। जनेश्वर मिश्रा के निधन के बाद पार्टी विधायक माता प्रसाद पांडेय, मनोज पांडेय और पवन पांडे ने यह ज़िम्मेदारी निभाने लगे।

अब फिर मुलायम सिंह की तर्ज पर अखिलेश यादव ने ब्राह्मण समाज को पार्टी से जोड़ने पर ध्यान दिया है और पार्टी मुख्यालय पर ब्राह्मण समाज की महापंचायत बुलाई जा रही है। इस महापंचायत को बुलाने की वजह चुनावी राजनीति में सवर्ण समाज की भूमिका बताई जा रही है। सपा नेताओं के अनुसार, राज्य की 40 लोकसभा सीटों को जीतने और हारने में सवर्णों की निर्णायक भूमिका रहती है।

पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राज्य की 80 में से रिकॉर्ड 72 और 62 सीटों पर जीत दिलाने में इस समाज की अहम भूमिका रही थी। सपा नेताओं का कहना है, बीते दोनों लोकसभा चुनावों में अपर कास्ट के वोटरों ने ही भाजपा 35 से अधिक सवर्ण बाहुल्य वाली सीटों पर जिताया था। 

कहा यह भी जा रहा है कि बीते पिछले लोकसभा चुनाव में तकरीबन 80 फीसद सवर्ण मतदाताओं ने सूबे में भाजपा का साथ दिया था। इस गुणा-गणित के आधार पर ही सपा ने अब ब्राह्मण समाज को अपना हितैषी बताने और उन्हे अपने साथ जोड़ने के लिए 24 दिसंबर को ब्राह्मण समाज की महापंचायत बुलाई है।

इन मुद्दों को उठाया जाएगा

ब्राह्मण समाज की महापंचायत में बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दे को उठाकर सपा भाजपा को घेरेगी। इसके साथ ही यह सवाल खड़ा करेगी कि पांच साल पहले केंद्र को मोदी सरकार ने सवर्णों की नाराजगी को दूर करने के सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसद गरीब सवर्णों को आरक्षण देने जो फैसला किया था, उसका लाभ यूपी के गरीब सवर्णों को क्यों नहीं मिला? भाजपा और केंद्र सरकार के इस फैसले का लाभ यूपी के गरीब सवर्ण समाज को अभी तक नहीं मिलने की वजह क्या है? 

क्यों मोदी सरकार की यह घोषणा यूपी में जुमला बन कर रह गई है? जबकि भाजपा सवर्ण समाज का सबसे अधिक वोट सूबे में लेती हैं, फिर क्यों वह सत्ता में आते ही सवर्ण समाज के लिए की गई घोषणा को भुला देती हैं। अयोध्या में बने रहे भव्य राम मंदिर को लेकर भी महापंचायत में चर्चा होगी कि कैसे मंदिर आंदोलन में सवर्ण समाज का साथ लेकर भाजपा सत्ता में पहुंची लेकिन अभी तक गरीब ब्राह्मण की बदहाली खत्म नहीं हुई है।

टॅग्स :अखिलेश यादवसमाजवादी पार्टीउत्तर प्रदेशलोकसभा चुनाव 2024
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