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मध्य प्रदेश की आने वाली नई आबकारी नीति को भी आदिवासी आमदनी का जरिया बनाएंगे : चौहान

By भाषा | Updated: November 22, 2021 20:48 IST

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मंडला (मप्र), 22 नवंबर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार नई आबकारी नीति बना रही है, जिसमें जनजातीय वर्ग पारंपरिक रूप से महुआ से शराब बना पाएगा। उन्होंने कहा कि इस हेरिटेज शराब को बेचने का अधिकार भी जनजातियों को दिया जाएगा।

चौहान ने मंडला जिले के रामनगर में जनजातीय गौरव सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित करते कहा, ‘‘एक नई आबकारी नीति आ रही है। महुअे से अगर कोई भाई-बहन परंपरागत रूप से शराब बनाता है, तो वह अवैध नहीं होगी। हेरिटेज शराब के नाम पर वह शराब की दुकानों पर भी बेची जाएगी। हम उसको भी आदिवासी आमदनी का जरिया बनाएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘परंपराओं के निर्वाह के लिये (आदिवासी इसे) बना सकता है। अगर वह परंपरागत रूप से (महुआ की शराब) बनाता है तो बेचने का भी अधिकार उसको होगा और सरकार बाकायदा वैधानिक मान कर यह अधिकार देगी।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिवर्ष 15 नवम्बर को पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस मनाने तथा एक सप्ताह तक जनजातीय गौरव के विभिन्न कार्यक्रम देश के कोने-कोने में आयोजित किये जाने का निर्णय लिया और भोपाल से इस अभियान की शुरूआत की।

उन्होंने कहा, ‘‘आज मंडला में जनजातीय गौरव दिवस सप्ताह का समापन हो रहा है। यह आयोजन जनजातियों की जिंदगी बदलने का अभियान है। जनजातियों का आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक सशक्तिकरण किया जाएगा।’’

चौहान ने कार्यक्रम स्थल से 600 करोड़ रूपये से अधिक की लागत वाले विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमि-पूजन भी किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्ग को सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार दिया जाएगा, वे जंगल लगाएंगे तथा उसकी लकड़ी एवं फल पर उनका ही अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना में उन्हें आवासीय भूमि अधिकार-पत्र प्रदान किये जायेंगे।

इससे पहले मुख्यमंत्री ने आज किला वार्ड मंडला में जनजातीय गौरव सप्ताह के समापन अवसर पर जनजातीय अमर शहीदों राजा शंकर शाह एवं रघुनाथ शाह की प्रतिमा स्थल का भूमि-पूजन किया। उन्होंने राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह का स्मरण कर उन्हें नमन किया। प्रतिमा स्थापना का कार्य 50 लाख रूपए की लागत से होगा।

गोंडवाना राजवंश के राजा शंकर शाह एवं उनके पुत्र रघुनाथ शाह ने अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्होंने जबलपुर स्थित ब्रिटिश सेना को विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया था। 18 सितम्बर 1857 को रघुनाथ शाह अपने पिता शंकर शाह के साथ वीरगति को प्राप्त हुए थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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