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जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर पर मोदी सरकार की सफाई, कहा- तय प्रक्रिया का किया गया पालन, तबादले पर कांग्रेस ने की राजनीति

By रामदीप मिश्रा | Published: February 27, 2020 11:15 AM

जस्टिस मुरलीधर का पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कुछ दिन पहले ही उनके ट्रांसफर की सिफारिश की थी। जस्टिस मुरलीधर दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे थे।

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ठळक मुद्देदिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस. मुरलीधर का ट्रांसफर किया गया गया है।कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश पर न्यायाधीश मुरलीधर का तबादला किया गया।

दिल्ली के उत्तरपूर्वी इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भड़की हिंसा पर सुनवाई करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस. मुरलीधर का ट्रांसफर किया गया गया है। उनके ट्रांसफर को लेकर सवाल खड़े किए गए, जिसके बाद कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश पर न्यायाधीश मुरलीधर का तबादला किया गया, तय प्रक्रिया का पालन किया गया है। 

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की 12 फरवरी 2020 को की गई सिफारिश के अनुसार न्यायमूर्ति मुरलीधर का ट्रांसफर किया गया। जज का ट्रांसफर करते समय उनकी सहमति ली जाती है। अच्छी तरह से तय प्रक्रिया का पालन किया गया है।

उन्होंने कहा कि एक ट्रांसफर रुटीन का कांग्रेस ने राजनीतिकरण किया है और उसने फिर से तुच्छ हरकत की है। भारत के लोगों ने कांग्रेस पार्टी को अस्वीकार कर दिया है और कांग्रेस संस्थाओं को खत्म करने का प्रयास कर रही है। हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता करने में कांग्रेस का रिकॉर्ड है। इमरजेंसी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों को हटा देना। उन्हें तभी पसंद आता है जब निर्णय उनके पसंद का हो अन्यथा संस्थानों पर सवाल ही उठाते आए हैं। बता दें, जस्टिस मुरलीधर का पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कुछ दिन पहले ही उनके ट्रांसफर की सिफारिश की थी। जस्टिस मुरलीधर दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई कर रहे थे और यह अधिसूचना ऐसे दिन जारी की गई जब उनकी अगुवाई वाली पीठ ने कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर तीन भाजपा नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस के प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर 'नाराजगी' जताई थी। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति अनूप जे भम्भानी की पीठ ने अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि वे सतर्क रहें ताकि 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान जो नरसंहार हुआ था, उसका दोहराव न हो।

विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने प्रधान न्यायाधीश से विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया। अधिसूचना में हालांकि, यह जिक्र नहीं किया गया है कि न्यायमूर्ति मुरलीधर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपना कार्यभार कब संभालेंगे। सुप्रीट कोर्ट ने ट्रांसफर की अनुशंसा 12 फरवरी 2020 को ही की थी, लेकिन नोटिफिकेशन दो हफ्ते बाद जारी किया गया है।  

टॅग्स :न्यायमूर्ति डॉ.एस. मुरलीधररविशंकर प्रसाददिल्ली हिंसादिल्लीकांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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