जम्मू: वर्ष 1989 के बाद कश्मीर में हंगुल हिरणों की संख्या में कुछ वृद्धि देखने को मिली है पर इससे अधिक संतुष्टि न ही अधिकारियों को मिली है और न ही कश्मीरियों को क्योंकि कभी इनकी संख्या 3 हजार से अधिक थी जो 1989 में घट कर 900 तक सिकुड़ी तो इनके प्रजनन पर ध्यान देना आरंभ किया गया। इसी कड़ी में अब एक बार फिर शिकारगाह के त्राल में हंगुल प्रजनन केंद्र को फिर से चालू करने की तैयारी है और इसमें हंगुल को स्वाभाविक रूप से बसाने का प्रयास किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि शिकारगाह वन्यजीव अभयारण्य में एक हंगुल प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया था जिस पर 2011 में करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। इसके पूरा होने के बाद इसमें एक हंगुल रखा गया था लेकिन यह एक तेंदुए का शिकार बन गया। स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने उस घटना के बाद कभी भी हंगुल में हलचल नहीं देखी। हालांकि पिछले दो साल से क्षेत्र में फिर से हिरणों की आवाजाही देखी जा रही है।
वे चिंतित हैं कि हंगुल की आबादी बगीचों या आवासीय क्षेत्रों में उद्यम कर सकती है। पिंग्लिश त्राल के एक स्थानीय निवासी इरशाद अहमद ने कहा कि प्रजनन केंद्र में हंगुल की उपस्थिति आगंतुकों को क्षेत्र की ओर आकर्षित कर सकती है। एक अधिकारी ने कहा कि सभी आवश्यक कार्य पूरे कर लिए गए हैं ताकि हंगुल को जंगली जानवरों का शिकार हुए बिना केंद्र में रखा जा सके। इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि हमने केंद्र के गेट के पास सब्जियां, नमक और अन्य चीजें रखी हैं, जहां हमारे कैमरों ने पहले ही हंगुल की गतिविधियों को कैद कर लिया है।