नई दिल्ली: बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार केस में 11 दोषियों की रिहाई पर अब सियायत भी गर्म हो गई है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियां और नेता गुजरात सरकार के दोषियों को माफी देने के फैसले पर नाराजगी जता चुके हैं। अब तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत बिलकिस बानो के बलात्कारियों को रिहा किए जाने के बाद टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर कहा कि देश को तय करना चाहिए कि बिलकिस बानो एक महिला हैं या मुस्लिम।
इससे पहले बिलकिस बानो ने भी पहली बार दोषियों की रिहाई पर चुप्पी तोड़तो हुए कहा था कि “आज मैं सिर्फ इतना ही कह सकती हूं कि किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। लेकिन इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को डिगा दिया है।”
क्या था बिलकिस बानो केस
साल 2002 के गुजरात दंगों में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। बिलकिस तब केवल 19 साल की थीं और 5 माह की गर्भवती थीं। हमलावरों ने उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी की थी। जनवरी 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने इस केस के 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। 15 साल सजा काटने के बाद दोषियों में से एक ने सर्वोच्च न्यायालय में रिहाई की अपील की थी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर गुजरात सरकार ने एक समिति बनाई थी और माफी योजना के तहत 11 दोषियों को रिहाई के योग्य माना था। इस मामले में रिहा होने वालों में राधेश्याम शाह, जसवंत नाई, गोविंद नाई, केसर वोहानिया, बाका वोहानिया, राजू सोनी, रमेश चंदना, शैलेश भट्ट, बिपिन जोशी, प्रदीप मोढिया और मितेश भट्ट शामिल हैं।