नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक अंतरिम आदेश को ‘निराशाजनक’ बताते हुए रोक लगा दी जिसमें अदालत ने यह जानने में राज्य सरकार की सहायता मांगी है कि क्या अदालत इस तरह का निष्कर्ष रिकॉर्ड कर सकती है कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गयी है।
उच्च न्यायालय के एक अक्टूबर के अंतरिम आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई जिसने मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम भी शामिल हैं। पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई सुनवाई में कहा, ‘‘हमें यह निराशाजनक लगा।’’
शीर्ष अदालत के आदेश में कहा गया, ‘‘विशेष अनुमति याचिका के संशोधन के लिए आवेदन को विचारार्थ स्वीकार किया जाता है। नोटिस जारी किया जाए जिस पर इस साल क्रिसमस और नये साल की छुट्टियों के तत्काल बाद जवाब देने को कहा जाए। अगले आदेश तक आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी।’’
पीठ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसने कहा कि उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश में ‘‘अभूतपूर्व तरीके से और बिना किसी आधार के या किसी भी पक्ष की दलीलों के बिना’’ इस प्रश्न को रखा कि ‘अगली तारीख पर राज्य सरकार की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता अदालत की इस बारे में मदद कर सकते हैं कि क्या आंध्र प्रदेश में मौजूदा परिस्थितियों में अदालत इस तरह का कोई निष्कर्ष रिकॉर्ड कर सकती है कि राज्य में संवैधानिक संकट है या नहीं।
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