नई दिल्ली:संसद में हुए घुसपैठ के मुद्दे और सांसदों की सुरक्षा को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में बीते सोमवार को दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। उसके बाद मामले में राज्यसभा और लोकसभा से 78 सांसदों को निलंबित किए जाने का मुद्दा बेहद संवेदनशील बनता जा रहा है। इसी मामले में राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संसद से सांसदों का निलंबन एक तरह से लोकतंत्र की हत्या के समान है।
कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सांसदों के निलंबन पर रोष व्यक्त किया और बेहद तीखे शब्दों में कहा, "लोकतंत्र की मां ने ही इसे अनाथ बना दिया है।"
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार 13 दिसंबर को संसद में हुए घुसपैठ को लेकर दोनों सदनों में सभापति, वित्त मंत्रालय और विपक्षी नेताओं के बीच जमकर बहस हुई। दोनों सदनों से पूरे घटना पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर हंगामा करने और कार्यवाही बाधित करने के आरोप में 78 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया है।
इसके बाद कपिल सिब्बल ने कहा कि आज के दौर में देश के नागरिकों द्वारा यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि 'लोकतंत्र के अस्तित्व' को बताया जाए। सांसद सिब्बल ने कहा, "लोकतंत्र की जननी ने इसे अनाथ कर दिया है। भारत के लोगों को इसका ख्याल रखना चाहिए और इसके अस्तित्व को सुनिश्चित करना चाहिए।"
मालूम हो कि बीते सोमवार को 78 सांसदों के निलंबन के साथ विभिन्न आरोपों में दोनों सदनों से निलंबित सांसदों की संख्या बढ़कर अब 92 हो गई है।
सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी की ओर से पेश किया था। पहले स्थगन के बाद दोपहर तीन बजे जब सदन की बैठक दोबारा शुरू हुई तो सभापति के तौर पर मौजूद भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि सदस्य नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
सदन ने पहले तख्तियां प्रदर्शित करने और सभापति के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए 13 सदस्यों को निलंबित कर दिया था। इस बीच राज्यसभा में टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन का निलंबन भी देखने को मिला है।
14 दिसंबर को टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन समेत अब कुल 46 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सांसदों के निलंबन पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की जमकर आलोचना की है।
कांग्रेस प्रमुख खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार विपक्ष विहीन संसद में अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना किसी असहमति के कुचल सकती है।
उन्होंने कहा, "पहले संसद में घुसपैठियों ने हमला किया फिर मोदी सरकार संसद और लोकतंत्र पर हमला कर रही है। निरंकुश मोदी सरकार ने 47 विपक्षी सांसदों को निलंबित करके सभी लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में फेंक दिया है। हमारी दो सरल मांगें हैं, पहला केंद्रीय गृह मंत्री को संसद में बयान देना ताहिए और दूसरा संसद की सुरक्षा को लेकर दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।"