Lok Sabha Elections 2024: यूपी की 41 सीटों पर भाजपा को इंडिया गठबंधन की चुनौती, सपा-कांग्रेस का जातिगत फार्मूला बनता जा रहा भाजपा की परेशानी

By राजेंद्र कुमार | Published: May 19, 2024 08:15 PM2024-05-19T20:15:04+5:302024-05-19T20:17:04+5:30

Uttar Pradesh Lok Sabha Elections 2024: समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने पांचवां, छठा और और सातवें चरण यानी अवध, पूर्वांचल एवं बुंदेलखंड के इलाके में न सिर्फ प्रत्याशी उतारने में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया है बल्कि जातिगत समीकरण को धार देने के लिए संबंधित बिरादरी के नेताओं को भी मैदान में उतारा है।

Lok Sabha Elections 2024: Challenge of India alliance to BJP on 41 seats of UP, caste formula of SP-Congress is becoming a problem for BJP | Lok Sabha Elections 2024: यूपी की 41 सीटों पर भाजपा को इंडिया गठबंधन की चुनौती, सपा-कांग्रेस का जातिगत फार्मूला बनता जा रहा भाजपा की परेशानी

Lok Sabha Elections 2024: यूपी की 41 सीटों पर भाजपा को इंडिया गठबंधन की चुनौती, सपा-कांग्रेस का जातिगत फार्मूला बनता जा रहा भाजपा की परेशानी

Highlightsयूपी में इंडिया गठबंधन का जातिगत फार्मूले के तहत प्रत्याशियों का किया गया है चयनइंडिया अलायंस ने जातिगत समीकरण को धार देने के लिए संबंधित बिरादरी के नेताओं को भी मैदान में उताराजिसके चलते शेष चरणों की 41 सीटों पर भाजपा के हर प्रत्याशी को सपा-कांग्रेस के उम्मीदवार से तगड़ी चुनौती मिल रही है

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पांचवां, छठा और और सातवें के मतदान को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की धड़कनें बढ़ गई हैं। इसकी वजह है, इंडिया गठबंधन का जातिगत फार्मूले के तहत प्रत्याशियों का चयन। जिसके तहत समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने पांचवां, छठा और और सातवें चरण यानी अवध, पूर्वांचल एवं बुंदेलखंड के इलाके में न सिर्फ प्रत्याशी उतारने में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया है बल्कि जातिगत समीकरण को धार देने के लिए संबंधित बिरादरी के नेताओं को भी मैदान में उतारा है। जिसके चलते पांचवां, छठा और और सातवें चरण की 41 सीटों पर भाजपा के हर प्रत्याशी को सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार से तगड़ी चुनौती मिल रही है। इसे देखते हुए ही सियासी जानकारों का दावा है कि इंडिया गठबंधन के उक्त प्रयोग के सकारात्मक नतीजे आए तो प्रदेश की राजनीति की दिशा बदल सकती है।

इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार : 

यूपी में पांचवें, छठवें और सातवें चरण में जिन 41 सीट पर मतदान होना है, उनमें पांच सीटें बुंदेलखंड की हैं, जबकि 36 सीटें अवध और पूर्वांचल की हैं। इन 41 सीटों में बीते लोकसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) के 36 सीटों पर जीत हासिल की थी। अब इन सीटों पर फिर से जीत हासिल करना भाजपा और उसके सहयोगी दल के लिए बड़ा टास्क है और भाजपा तथा उसके सहयोगी दल को फिर से 36 सीटों पर जीत हासिल करने से रोकने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव तथा कांग्रेस पार्टी ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं, जिसके चलते ही इन 41 सीटों पर इंडिया गठबंधन के दो क्षत्रिय व पांच ब्राह्मण सहित सामान्य वर्ग के 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं।

इसके अलावा आठ कुर्मी, पांच निषाद, एक यादव, एक पाल सहित 19 पिछड़ी जाति के उम्मीदवार हैं। जबकि 10 दलित उम्मीदवारों में चार पासी समाज के हैं। एक उम्मीदवार मुस्लिम का चुनाव मैदान में खड़ा किया गया। सपा और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान रखते हुए उम्मीदवार खड़े किए गए हैं, जिसके चलते विधानसभा क्षेत्रवार जिस इलाके में जिस जाति का वर्चस्व है, उसमें उसी जाति के नेता को चुनाव मैदान में उतारा गया है, ताकि पार्टी की बात को जनता को आसानी से समझाया जा सके।

भाजपा के लिए चुनौती पूर्ण हैं तीन चरण :  

सपा नेता उदयवीर के मुताबिक, पीडीए फार्मूले के तहत उम्मीदवारों के चयन करने का लाभ अब दिखाई दे रहा है। सपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों द्वारा संविधान और आरक्षण बचाने की कही जा रही बातों का असर दलित और पिछडे समाज पर दिख रहा है। दलित समाज को यह लगने लगा है कि सपा और कांग्रेस के नेता उसके हक के लिए भाजपा से लड़ रहे हैं। युवाओं को रोजगार देने तथा महिलाओं और किसानों की हक की बात भी इंडिया गठबंधन का हर उम्मीदवार कर रहा है, जबकि भाजपा के नेता मंदिर निर्माण का दावा करते हुए कांग्रेस तथा सपा शासन की नाकामियों को गिनाते हुए वोट मांग रहे हैं।

इसे देखते हुए ही पूर्व आईएएस अधिकारी एएन मिश्रा कहते हें कि इंडिया गठबंधन ने जिस तरह से टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग की है, वह भाजपा की समस्या बढ़ा रही हैं। यहीं वजह है कि भाजपा नेता लखनऊ में राजनाथ सिंह और वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी की जीत का तो दावा कर रहे हैं, लेकिन ऐसा दावा वह अन्य 39 सीटों पर चुनाव लड़ रहे भाजपा उम्मीदवारों के लिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार उन्हे जातिगत समीकरणों के आधार पर कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

कुल मिलाकर यह दिख रहा है कि सपा और कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग कारगर रही तो भविष्य की सियासत में बदलाव होगा। इसी इंजीनियरिंग का कमाल है कि जो सपा पहले यादव और मुसलमान उम्मीदवार खड़ा करने पर जोर देती रही है, उसके इस बार ऐसा नहीं है. यह उसकी सोची समझी सियासी रणनीति है, जिसके चलते अगले तीन चरणों भाजपा के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण हैं।

Web Title: Lok Sabha Elections 2024: Challenge of India alliance to BJP on 41 seats of UP, caste formula of SP-Congress is becoming a problem for BJP

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे