Bihar Assembly Elections 2025: बिहार की सियासत में फिर से ‘पलटू राम’ का दौर शुरू हो गया है। विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही पाला बदलने का खेल तेज हो गया है। टिकट ना मिलने या टिकट कटने के डर में विधायक एक पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टी का हाथ थाम रहे हैं। कहा जाए तो यह चुनाव ‘पाला बदल’ का महाकुंभ है। इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बड़ा झटका लगा है। नवादा से राजद विधायक विभा देवी और रजौली से राजद विधायक प्रकाश वीर ने विधानसभा के साथ-साथ राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
विभा देवी बाहुबली पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं। जबकि प्रकाश वीर भी राजबल्लभ यादव के करीबी हैं। इस बार जदयू या भाजपा से किस्मत आजमाना चाह रहे हैं। अब तक करीब 10 विधायकों ने पाला बदल लिया है।
बता दें कि अगस्त में पीएम मोदी की गया रैली के दौरान राजद के नवादा से विधायक विभा देवी और रजौली से विधायक प्रकाश वीर भाजपा के मंच पर मौजूद नजर आए थे। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों पार्टी से इस्तीफा देने वाले हैं। हालांकि बाद में दोनों विधायकों ने कहा कि वो केवल कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहुंचे थे। वहीं अब दोनों विधायकों ने राजद का साथ छोड़ दिया है। उल्लेखनीय है कि राजबल्लभ यादव को बलात्कार मामले में पिछले दिनों ही पटना हाई कोर्ट से बरी किया गया था। उसके बाद से ही उनके एनडीए में आने के आसार लगाए जा रहे थे।
राजद विधायक विभा देवी ने वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में नवादा सीट से बड़ी जीत दर्ज की थी। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार श्रवण कुमार को 26,310 वोटों के भारी अंतर से शिकस्त दी थी। विभा देवी का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है।
पति के जेल जाने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और पार्टी संगठन के साथ मजबूत तालमेल बनाते हुए अपनी पहचान स्थापित की। नवादा जैसे अहम क्षेत्र से मजबूत जीत दर्ज करने के बाद विभा देवी लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कैंप की प्रमुख और भरोसेमंद विधायक मानी जाती थी, हालांकि अब उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, प्रकाश वीर 2020 में राजद के टिकट पर विधायक बने थे। उन्हें कुल 69,984 वोट मिले थे।
दूसरे नंबर पर रहे भाजपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार को 57,391 वोट मिले थे। प्रकाश वीर का राजद से जुड़ाव काफी पुराना है। वे पार्टी संगठन में जमीनी स्तर से सक्रिय रहे हैं और रजौली क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। स्थानीय राजनीति में उनकी सक्रिय भूमिका और जनसंपर्क को उनकी जीत का अहम कारण माना गया।
बता दें कि भभुआ सीट से विधायक भरत बिंद समेत अब तक पांच राजद और दो कांग्रेस के विधायक एनडीए यानी भाजपा और जदयू में में शामिल हो चुके हैं। दरअसल, जातीय समीकरणों के चक्रव्यूह में फंसे नेता अब टिकट की आस में इधर-उधर भाग रहे हैं। हर विधायक की नींद उड़ी हुई है और हर पार्टी के दरवाजे पर दस्तक हो रही है। बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं और 2020 के चुनाव में राजद ने 75, भाजपा ने 74, जदयू ने 43 और कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं। लेकिन अब बहुत से विधायकों को टिकट कटने का डर सता रहा है।
हालांकि चुनावी रणभूमि में राजद फिलहाल दल-बदलुओं की ‘पहली पसंद’ बनकर उभरती नजर आ रही है। इसके बाद पीके की पार्टी जन सुराज और फिर मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी है। पाला बदलने वाले नेताओं और टिकट की चाह रखने वाले नेताओं की पहली पसंद है। इंडिया गठबंधन में राजद के 12-15 विधायक टिकट कटने से परेशान की खबर आ रही है।
तेजस्वी यादव युवाओं और एमवाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक पर दांव लगा रहे हैं, लेकिन परिवारवाद के आरोपों से पार्टी में असंतोष है। कांग्रेस के भी कई विधायक भी चिंतित हैं, क्योंकि गठबंधन में सीट शेयरिंग पर झगड़ा है।