पनी लेखनी से निर्वासन का दंश झेल रहीं बांग्लादेश की विवादास्पद और विचारोत्तेजक लेखिका तसलीमा नसरीन ने फेसबुक पर अपने खिलाफ षड्यंत्र करने का आरोप लगााया है।
'लज्जा' और 'बेशरम' जैसे उपन्यास लिखकर इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वाली लेखिका ने ट्विटर पर अपने दुख को साझा करते हुए लिखा है, "#Facebook ने 2 दिन में दो बार मुझे मारा। मैं सच में मरने से पहले ही मर जाऊंगी। जब मैं सच में मरूंगी तब लोगों को यकीन भी नहीं होगा कि मैं सच में मर गई हूं। वे मेरी वास्तविक मौत को भी फेसबुक द्वारा गढ़ी गई झूठी मौत मानेंगे @Facebook"
दरअसल फेसबुक ने तसलीमा नसरीन अकाउंट को Remembering Taslima Nasreen में बदल दिया था। जिसके कारण लोगों ने उन्हें दिवंगत मान लिया और श्रद्धांजलि देने लगे।
इस पूरे मामले में तसलीमा नसरीन को खुद आगे आना पड़ा और कहना पड़ा कि उनकी धड़कने चल रही हैं और वो पूरी तरह से सामान्य जिंदगी जी रही हैं।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि न तो उनकी तबीयत खराब है और न ही वो किसी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हैं। वो पूरी तरह से फिट हैं और लिखने-पढ़ने का सामान्य काम कर रही हैं।
लगभग दो दशकों से निर्वासन में जी रहीं तसलीमा नसरीन ने फेसबुक के द्वारा फैलाई गई मौत की अफवाह पर निराशा जताते हुए एक अन्य ट्वीट में कहा, "मैं जिंदा हूं, लेकिन मेरे फेसबुक अकाउंट को remembering बना दिया। कितनी दुखद खबर है! आप (Facebook) ऐसा कैसे कर सकते हैं? कृपया मुझे मेरा अकाउंट वापस दें।"
साल 2004 से भारत में जिंदगी बिता रही तसलीमा नसरीन मूल रूप से बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले की रहने वाली हैं। तसलीमा इस्लामिक कट्टरपंथ की खुल कर आलोचना करती हैं, यही कारण है भारत में भी कई बार उन पर हमले हो चुके हैं।
पेशे से चिकित्सक तसलीमा नसरीन का फेसबुक अकाउंट इससे पहले नवंबर 2021 में बैन कर दिया गया ता क्योंकि उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा पर धर्म विशेष के खिलाफ टिप्पणी की थी।